मिलती-जुलती खबरें...
अग्नि वर्षा है तो है हां बर्फ़बारी है तो है
दुष्यंत चले गए. उनकी ग़ज़लें अमर हैं. जिन्होंने दुष्यंत कुमार को नहीं देखा, वे एहतराम साहब से मिल सकते हैं.…
अच्छे काम अगर भोंपू बजाकर भी हों तो ‘काम अच्छे हैं’
पब्लिसिटी जरूरी है अगर आप किसी भूखे हो खाना खिलाते हैं….किसी जरूरत मंद के लिए खड़े होते हैं…कोई आंदोलन कर रहे हैं….किसी को खून देने गए हैं….किसी के लिए लड़ रहे हैं….किसी को सुधार रहे हैं…..अगर सफाई भी कर रहे हैं…
नेहरू कुछ अच्छा कर गए हैं तभी उनकी आलोचना हो रही है
राहुल सांकृत्यायन. ऐसे समय में जब किसी व्यक्ति पर सबसे ज्यादा हमला हो तो यह अपने आप समझा जाना चाहिए…
