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लोकल डिब्बा टीम

काश! इश्क़ की बातें होतीं

काश के मेरा नाम इश्क़ होता तुम्हारा नाम भी इश्क़ होता क्या होता जब सबका नाम इश्क़ होता। हम जिस… Read More

क्रांति धरा मेरठ: सिर्फ तीस मार खां बसते हैं यहां!

क्रांतिधरा मेरठ ऐंवई नाम के साथ बदनामी लेकर नहीं चल रही है। एक से एक तीस मार खां बसते हैं… Read More

कार्टून: पद्मावती को खिलजी नहीं देख पाया लेकिन 150 की टिकट में सब देखेंगे?

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विश्व टेलिविजन दिवस: बचपन में टीवी देखने किसके यहां जाते थे?

अब के बच्चों के लिए टीवी पर दर्जनों कहानियां हैं. इतनी कि वो जिन्हें चाहें देख-सुन सकते हैं, छोड़ सकते… Read More

कार्टून: विरोध के ठेकेदार

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सबकुछ ठीक हो जाएगा बस खुद को शून्य बना लीजिए…

एक से एक इवेंट हो रहे हैं हमारे देश में, कुछ सफल हो जाते हैं और कुछ असफल। हाल ही… Read More

कविता- तुम जानती हो चुराए हुए चुम्बनों का स्वाद?

तुम्हारे कुछ चुंबन बचे हैं मेरे होठों पर कुछ मेरे भी बचे हों शायद तुम्हारे पास ये हमारे पहले चुंबन… Read More

घास इन कोठेवालियों की दूर की रिश्तेदार है

जैसे बिन बोए उग आती है घास जमीन के हर हिस्से पर ठीक वैसे ही कुछ लड़कियां उगती हैं शहर… Read More

ये मेरे हिन्दुस्तान को कौन सा रोग लग रहा है भाई!

तुम हिन्दू हो ,मै मुस्लिम हूं। तुम्हारा रास्ता मंदिर तो मै मस्जिद को जाता हूं। तुम टीका लगाते हो तो… Read More

लप्रेक: एक ऑफलाइन मुलाकात

आज जब तुम मिली तो पता नही क्यों फेसबुक और व्हाट्सऐप की डीपी से ज्यादा सुन्दर लगी ? शायद वास्तविकता… Read More