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कविताई

कविताईः नए बरस की आमद और रद्दी होते कैलेंडर का दर्द

बरस के बीतते इन आखिरी दिनों में/ कैलेंडर की अहमियत घट रही है। Read More

कविताई: काल के कपाल पर लिखने-मिटाने वाली ‘अटल’ कलम जो हिंदुस्तान का इतिहास भी लिखती है

थाती से कविता मिली और प्रतिभा से सिंहासन। अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति के इतिहास के कभी न मिट सकने… Read More

जन्मदिनः ‘मैं जो हूं जॉन एलिया हूं जनाब, इसका बेहद लिहाज कीजिएगा’ – जॉन एलिया

हैं और भी दुनिया में सुखनवर बहुत अच्छे कहते हैं कि ग़ालिब का है अंदाजे बयां और जिन लोगों ने… Read More

पुण्यतिथिः शशि सूर्य हैं फिर भी कहीं, उनमें नहीं आलोक है – मैथिलीशरण गुप्त

यह रिवर्स टैलेंट का दौर है,जब संघर्षों की आवश्यक प्रक्रियाएं रोचक कहानियों के आवरण में सहानुभूतिक शब्दों के टैगलाइन के… Read More

जहाँ हक माँगना मजलूम की फरियाद लगती है

बता दे ये जमीं कैसे तुझे आजाद लगती है जहाँ हक माँगना मजलूम की फरियाद लगती है। कि जिनको है… Read More