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साहित्य

हिंदी पत्रकारिता दिवस: जानें कैसे शुरू और बंद हुआ उदंत मार्तंड

सिद्धार्थ पांडेय30 मई 1826 भारतीय इतिहास की वह स्वर्णिम तारीख है जब भारत में हिंदी पत्रकारिता की नींव पड़ी। भारत… Read More

मॉब लिंचिंग: साधु मरे या मजदूर, समाज बुरी तरह फेल हो रहा है

तीन दिन पहले की खबर है। महाराष्ट्र के पालघर में भीड़ ने तीन लोगों को घेरा। बुरी तरह पीटा। सूचना… Read More

युद्ध की संभावना पर क्या कहते कुरुक्षेत्र रचने वाले दिनकर

दिनकर व्यक्ति नहीं रहे। दिनकर एक चेतना हैं। एक राष्ट्र की चेतना। केवल भारत की नहीं, किसी भी स्वाभिमानी राष्ट्र… Read More

‘ये रंग होगा कितना गहरा कितना हल्का, ये अफसर तय करेंगे’

किसी का हुक्म है सारी हवाएं, हमेशा चलने से पहले बताएं, कि इनकी सम्त क्या है. हवाओं को बताना ये… Read More

पुण्यतिथिः ‘आसमान में धान’ की तरह उगने वाले कवि विद्रोही

"मैं किसी से प्रतिवाद नहीं करता तो उसका सिर्फ एक कारण है। मैं इस इंडियन सोसायटी का नेचर जानता हूं।… Read More

दंगों के बीच जूझती एक प्रेम कथा, सत्य व्यास की ‘चौरासी’

किताब में चार किरदार हैं. मुख्य किरदार का नाम ऋषि है. ऋषि भी दंगों से ही सम्बंधित है. ऋषि जिस… Read More

अग्नि वर्षा है तो है हां बर्फ़बारी है तो है

दुष्यंत चले गए. उनकी ग़ज़लें अमर हैं. जिन्होंने दुष्यंत कुमार को नहीं देखा, वे एहतराम साहब से मिल सकते हैं.… Read More

न करीब आ न तू दूर जा ये जो फ़ासला है ये ठीक है

ग़ज़ल की ख़ूबसूरती है कि यहां बातें छिपाकर कही जाती हैं. जो जाहिर है ऐसा माना जाता है वह ग़ज़ल… Read More

आसमान वालों को गीत सुनाने चले गए महाकवि गोपाल दास नीरज

नीरज साहब की मानें तो "न जन्म कुछ, न मृत्यु कुछ, बस इतनी सी बात है, किसी की आंख खुल… Read More

पुण्यतिथि: तमस के बहाने भीष्म साहनी का स्मरण

‘तमस’ देश-विभाजन के पूर्व की हमारी सामाजिक मानसिकता और उसके अनिवार्य परिणाम के रूप में होने वाले भीषण साम्प्रदायिक दंगो… Read More