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जापान से आया मेरा दोस्त चीन तुम डरा करो

हम हिंदुस्तानी दोस्ती में बहुत यक़ीन रखते हैं। हम दुश्मन को भी दोस्त मानते हैं। चाहे दोस्ती में सरहद पर महीने-दो महीने में आठ-दस सिपाही शहीद ही क्यों न होते रहें, हम दोस्ती से कभी पीछे नहीं हटते। दोस्ती वाली लिस्ट में उसी की रैंक सबसे अच्छी है जिसके एंटरटेनमेंट के चक्कर में हमारे सैनिक शहीद हो जाते हैं। हम दोस्ती मरते दम तक निभाते हैं।

इन दिनों तो हम दुनिया भर में घूम-घूम कर दोस्त बना रहे हैं। पहले हम ग्लोब उठाते हैं फिर देखते हैं कहां हमारे पुरखे नहीं पहुंचे हैं, जैसे ही कोई नया देश मिल जाता है हम वहां पहुंच जाते हैं। दोस्ती तो हम चुटकी बजाते ही कर लेते हैं। एक सेल्फी और दो-चार फ़ोटो खिंचवाने के बाद कोई भी देश हमारा सच्चा दोस्त हो जाता है, जिसकी दोस्ती से चीन की सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाती है। चीन घुटनों पर आ जाता है। एशिया की सबसे बड़ी सैन्य ताक़त हम ही हो जाते हैं।

हम पिछले तीन सालों से दोस्ती कर रहे हैं। धरती का कोई कोना बचा नहीं है जहां हम गए न हों। 2014 में हमने 9 देशों से दोस्ती की। 2015 में 28 देश हमने घूम लिए। 2016 में 19 देश। 2017 में अबतक 13 देश घूम लिए हैं। घबराने की बात नहीं है। कुछ देश तो हमें इतने पसंद आए कि हम कई बार घूमने पहुंच गए। अभी कई और यात्राएं प्रस्तावित हैं। हर बार हम विदेश में कई अहम फ़ैसले लेते हैं जिनकी वजह से हमारी स्थिती मज़बूत हो जाती है। अमेरिका के बाद हम ही सबसे बलवान हो जाते हैं। चीन हमारे पांव पकड़ लेता है। हमें दया भी आ जाती है।

ऐसा नहीं है हम घूमते ही रहते हैं। मेजबानी भी हमसे बेहतर कोई नहीं करता है। 26 मई 2014 से ही मेहमानों का तांता लगा है। जिसे कोई नहीं बुलाता उसे भी हम बुलाते हैं। यही हमारी ख़ासियत है। पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, रूस, अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, और लेटेस्ट जापान सब देशों के छोटे-बड़े तमाम नेता हमारे यहां पानी-पूरी खा चुके हैं।

जब कोई बड़े देश वाला नेता हमारे यहां आता है तो हमारी मीडिया उसके खाने-पीने से लगायत सोने-उठने-बैठने तक की ख़बरें दिखाने लगती है। 2015 में जब ओबामा हमारे यहां आए थे तो अमेरिकी मीडिया ने सिंगल कॉलम ख़बर दिखा के कोटा पूरा कर लिया था लेकिन हमारी मीडिया तो न जाने क्या-क्या दिखा रही थी। हमारे प्रधान सेवक इतनी बार अमेरिका गए लेकिन वहां की मीडिया ने कुछ ख़ास तवज्जो नहीं दिया लेकिन हम तो बिछ जाते हैं किसी के भी आने से।

ख़ैर हमारा दर्शन भी यही कहता है, ‘अतिथि देवो भव।‘

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जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे भारत दौरे पर हैं। अहमदाबाद शादी के मंडप जैसा सजाया गया। गुजरात की जिन सड़कों से उनका काफिला गुज़रेगा उन्हें नया भारत ही नज़र आएगा। मीडिया में ख़बरें तो चल ही रही हैं जापान से हुए ऐसे समझौते जिनकी वजह से चीन बौखला गया है। चीन की सांसे अटक गईं हैं। डोकलाम छोड़ो चीन अब तिब्बत भी छोड़ कर भाग जाएगा। समुद्र में भी भारतीय तट की  समुद्री सीमा से सौ किलोमीटर दूर तक के क्षेत्रों में कोई घुसपैठ नहीं करेगा। पाकिस्तान तो जापान के साथ हुए गठबंधन की वजह से घर से बाहर नहीं निकलेगा।

सब दुश्मन जापान की दोस्ती की वजह से दुबक गए हैं। अब हमारे टक्कर में कोई नहीं है। जब कोई होगा तबतक फिर किसी देश का कोई प्रतिनिधि हमारे देश में आ जाएगा और चीन हम से डर जाएगा।

बाकी तो सब ठीक ही चल रहा है देश में। घबराने की कोई बात नहीं है देश वालों, अगली बार फिर कोई मोटा असामी पकड़ लेंगे चीन को डराने के लिए। इस बार जर्मनी।

मिलते हैं अगली ख़बर लेकर।

यह हिंद, वंदे मातरम्।

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