चुनाव खत्म अब नतीजों का इंतज़ार है लेकिन उससे पहले टीवी पर शोर शुरू हो चुका है। इतना हल्ला तो नवजात भी नहीं करता होगा जितना कि मीडिया कर देता है। सब चैनल अपना-अपना एग्जिट पोल दे रहे हैं, मानो वे तैयार ही खड़े थे कि कब चुनाव खत्म हो और हम अपनी कलाकारी दिखाएं, टीवी के एक से एक सेट बनेंगे, बड़े से बड़े राजनीतिक पंडितों का जमावड़ा होगा, टीवी के न्यूज़ रूम में! किसको कितनी सीट मिल रही है, कितना वोट परसेंट बढ़ा। इन सभी सवालों पर एक राय देंगे राजनीतिक पंडित!
कोई इसको जिता रहा है तो कोई उसको, समझ ये नहीं आता जब जनता वोट कर चुकी, 11 को नतीजे भी आ ही रहे हैं तो मीडिया इतना हल्ला क्यों कर रहा है? चलो मान लिया एग्जिट पोल सही हैं तो एक बार सोचिये कि ये पोल कितने लोगों से पूछ कर बनते है! कहीं 1 हज़ार लोग तो कहीं 10 हज़ार लोगों से जबकि वोट देने वालों की संख्या देखे तो वो कुल मदतदाताओं का 1 पर्सेंट भी नही है। अब ये तो सरासर झूठ बोलकर दोखा देने वाली बात है। यहाँ एक आदमी क्या सोचता है , क्या उसी आदमी के आधार पर हम सबकी राय बना सकते हैं क्या? अगर आपका जवाब ना है तो 10000 लोग कैसे करोड़ो लोगो की राय बना दे रहे है!
क्या आप जनता को सच में कुछ देना चाहते हैं? आप या आपके अंदर कुछ पाने का लालच छुपा है? कहीं इसके पीछे टीआरपी का खेल तो नहीं? अगर आप सच में जनता के लिए कर रहे है तो क्यों नहीं सही खबर दिखा देते, इन सब ड्रामा को छोड़ कर! किसानी में घाटा हो रहा इसलिए किसान किसानी छोड़ दे और आपका एग्जिट पोल हर बार गलत निकल रहा है लेकिन आप इसे नही छोड़ सकते क्यों जी?