पत्रकारिता में विशेष योगदान के लिए एनडीटीवी के रवीश कुमार को रैमन मैग्सेसे अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा। 31 अगस्त को रैमन मैग्ससे की जयंती पर ये अवॉर्ड हर साल दिए जाते हैं। इस बार रवीश कुमार इकलौत भारतीय हैं, जिन्हें यह पुरस्कार मिला है। इससे पहले भारत के टीएन शेषन, वर्गीज कुरियन, राजेंद्र सिंह, जय प्रकाश नारायण, एम एस स्वामीनाथन, अरविंद केजरीवाल, किरण बेदी और अरुण शौरी जैसे कई लोगों को विभिन्न क्षेत्रों में उनके योगदान के लिए यह पुरस्कार दिया जा चुका है। पिछले साल भारत के सोनम वांगचुक और भारत वटवानी को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
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आखिर रैमन मैग्सेसे अवॉर्ड है क्या?
रैमन मैग्सेसे अवॉर्ड को यूं समझिए कि एशिया के लिए यह नोबेल पुरस्कार जैसा है। एशियाई लोगों को छह क्षेत्रों में उनके विशेष योगदान के लिए यह पुरस्कार दिया जाता है।
ये छह क्षेत्र हैं:-
- पब्लिक सर्विस
- गवर्नमेंट सर्विस
- पत्रकारिता, साहित्य और क्रिएटिव कम्युनिकेशन आर्ट्स
- शांति और अंतरराष्ट्रीय सद्भावना
- उभरता हुआ नेतृत्व
- सामुदायिक नेतृत्व
पहली बार यह अवॉर्ड 1958 में दिया गया। इससे पहले रॉकफेलर ब्रदर्स फंड के ट्रस्टियों ने अवॉर्ड फाउंडेशन की स्थापना 1957 में की थी। यह संस्था फिलीपींस की है और वहीं के पूर्व राष्ट्रपति का नाम है रैमन मैग्सेसे। उन्हीं की याद में यह अवॉर्ड दिया जाता है। 1958 में जब पहली बार यह पुरस्कार दिया गया तो भारत के आचार्य विनोबा भावे को सम्मानित किया गया। अब तक भारत के ही 50 से ज्यादा लोग यह पुरस्कार हासिल कर चुके हैं।
हाथ से लिखकर अखबार निकालता है यह पत्रकार
अब रैमन मैग्सेसे इतने चर्चित हैं कि उनके नाम पर अवॉर्ड दिया जा रहा है तो कुछ तो खास किया ही होगा न! आइए जानते हैं।
कौन थे रैमन मैग्सेसे?
फिलीपींस के 7वें राष्ट्रपति थे रैमन मैग्सेसे। 1957 में एक विमान हादसे में उनकी मौत हो गई। फिलीपींस में कम्युनिस्टिों की घुसपैठ को रोकने के लिए रैमन मैग्सेसे ने भूमि सुधार कार्यक्रम चलाया, जिसके लिए वह पूरे विश्व में चर्चित हुए। रैमन मैग्सेसे के चरित्र और उनके विचारों को सम्मान देने के लिए यह पुरस्कार हर साल दिया जाता है।