जो वह बेच रहा था, वह उससे ही दूर था,
अब याद आ रहा है,
मार्क्स का वह अलगाववाद जो उसके बहुत करीब था।
वह ना जाने कब उस तक पहुंच पाएगा,
जो वह बेच रहा वह उसको कब खरीद पाएगा?
अब याद आ रहा है,
कि लोहिया के समाजवाद से वो कितना दूर था।
वह लिख ना पाएगा अपना इतिहास,
जिस पर लिखना है वह कोरा पन्ना भी उससे दूर था,
अब याद आ रहा है,
मार्क्स क्यों इसकी जरूरतों के अनुरूप थे।
वह बेचते हुए कलम की खासियत बताता है,
वह ना जाने कब कलम की खासियत को समझ पाएगा,
अब याद आ रहा,
रॉल्स क्यों इक्वैलिटी और जस्टिस लिखने को मजबूर थे,
वह ना बोल पाएगा इस कलम की जुदाई का दर्द,
क्या उसका दर्द बेफिजूल था,
अब याद आ रहा,
जे एस मिल ऑन लिबर्टी लिखने को मजबूर थे।
जो अधिकार उसके थे वो उससे भी दूर था,
अब याद आ रहा अम्बेडकर क्यों संविधान लिखने को मजबूर थे,
जो वह बेच रहा था वह उससे ही दूर था….