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ग़ज़ल

मिलती मुद्दत में है और पल में हँसी जाती है

आप की याद भी बस आप के ही जैसी है, आ गई यूँही अभी यूँही अभी जाती है। Read More

अग्नि वर्षा है तो है हां बर्फ़बारी है तो है

दुष्यंत चले गए. उनकी ग़ज़लें अमर हैं. जिन्होंने दुष्यंत कुमार को नहीं देखा, वे एहतराम साहब से मिल सकते हैं.… Read More

नहीं आना मुझे इतने बुरे संसार में अम्मा

नज़र आता है डर ही डर, तेरे घर-बार में अम्मा नहीं आना मुझे इतने बुरे संसार में अम्मा. यहाँ तो… Read More

मैं पूजा नहीं कर रही थी, एक बच्चे को प्यार कर रही थी- इस्मत चुग़ताई

ज़ंजीर कोई भी हो, अगर टूटेगी तो आवाज़ होगी. साहित्य और अदब में भी जब कभी कोई ज़ंजीर टूटती है,… Read More

हैप्पी बड्डे: फिराक गोरखपुरी साहब

हर किसी की जिंदगी के समानांतर एक और जिंदगी होती है और यह सबको दिखाई नहीं देती । यह जिंदगी… Read More