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साहित्य

बाबा नागार्जुन: एक अल्हड़ जनकवि, जिसकी पीड़ा में पलता है भारत

नागार्जुन की खासियत है कि उन्हें कोई अनगढ़ साहित्यकार पढ़े तो भाषाई रूप से समृद्ध हो जाए. Read More

प्रजातंत्र एक अबूझ पहली है जिसका आधार भ्रम है

प्रजातंत्र के रक्षकों के लिए संविधान सिर्फ एक ढाल बनकर रह गया है जो समय-समय पर इन्हें सत्य पर असत्य… Read More

कविता का सबसे संक्षिप्त रूप-विन्यास है हाइकू

कविताओं के लिए ‘गागर में सागर’ की कहावत तो बहुत पुरानी है। बात चाहे कबीर के दो लाइन और चार चरण वाले… Read More

दुष्यंत कुमारः वह शायर जिसके शेर क्रांति के शंखनाद से कम नहीं

1933 के वक्त के भारत की बात करें तो आजादी का संग्राम और देशभक्ति से ओत-प्रोत साहित्य अपने पूरे उफान… Read More