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उर्दू नज़्म

ख़ुदकुशी…भवेश दिलशाद (शाद) की नज़्म

इसी इक मोड़ पर अक्सर गिरा जाता है ऊंचाई से अपनी ज़ात और ख़ाका मिटाया जाता है सब कुछ हो… Read More