मिलती मुद्दत में है और पल में हँसी जाती है
आप की याद भी बस आप के ही जैसी है, आ गई यूँही अभी यूँही अभी जाती है। Read More
आप की याद भी बस आप के ही जैसी है, आ गई यूँही अभी यूँही अभी जाती है। Read More
दुष्यंत चले गए. उनकी ग़ज़लें अमर हैं. जिन्होंने दुष्यंत कुमार को नहीं देखा, वे एहतराम साहब से मिल सकते हैं.… Read More
नज़र आता है डर ही डर, तेरे घर-बार में अम्मा नहीं आना मुझे इतने बुरे संसार में अम्मा. यहाँ तो… Read More
ज़ंजीर कोई भी हो, अगर टूटेगी तो आवाज़ होगी. साहित्य और अदब में भी जब कभी कोई ज़ंजीर टूटती है,… Read More
हर किसी की जिंदगी के समानांतर एक और जिंदगी होती है और यह सबको दिखाई नहीं देती । यह जिंदगी… Read More