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hindi poetry

रात दरवाज़े पर दस्तक दे रही है

रात अब दरवाज़े पर खड़ी है रह-रह के सायरन की सदा आ रही है. Read More

सब राहों के अन्वेषी बचे-खुचे जंगलों के साथ ही कट गये

अब नहीं हैं प्रणययार्थी, न उनकी गणिकाऐं, वो गदिराए बदन भी नहीं हैं जिनपर लिख सको कामसूत्र जैसा ग्रंथ तुम… Read More

ख़ुदकुशी…भवेश दिलशाद (शाद) की नज़्म

इसी इक मोड़ पर अक्सर गिरा जाता है ऊंचाई से अपनी ज़ात और ख़ाका मिटाया जाता है सब कुछ हो… Read More

अग्नि वर्षा है तो है हां बर्फ़बारी है तो है

दुष्यंत चले गए. उनकी ग़ज़लें अमर हैं. जिन्होंने दुष्यंत कुमार को नहीं देखा, वे एहतराम साहब से मिल सकते हैं.… Read More

बाबा नागार्जुन: एक अल्हड़ जनकवि, जिसकी पीड़ा में पलता है भारत

नागार्जुन की खासियत है कि उन्हें कोई अनगढ़ साहित्यकार पढ़े तो भाषाई रूप से समृद्ध हो जाए. Read More

नहीं आना मुझे इतने बुरे संसार में अम्मा

नज़र आता है डर ही डर, तेरे घर-बार में अम्मा नहीं आना मुझे इतने बुरे संसार में अम्मा. यहाँ तो… Read More

कुछ सपनों के मर जाने से, जीवन नहीं मरा करता है: गोपालदास नीरज

नीरज ने बॉलीवुड के लिए अनेक लोकप्रिय गीत लिखे। उन्हें फिल्मफेयर पुरस्कार के अलावा पद्मश्री और पद्मभूषण जैसे नागरिक सम्मान… Read More

कविताईः नए बरस की आमद और रद्दी होते कैलेंडर का दर्द

बरस के बीतते इन आखिरी दिनों में/ कैलेंडर की अहमियत घट रही है। Read More