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kedarnath singh

दुख हूं मैं एक नए हिन्दी कवि का, मुझे कहां बांधोगे किस लय, किस छन्द में?

जब भी हिंदी का कोई बड़ा स्तंभ डगमगाता है तो ऐसा कहा जाता है कि विराट शून्य हो गया है… Read More