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आपस में क्यों बैर करें सब?
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आपस में क्यों बैर करें सब?

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हाथ एक से पांव एक से
शहर एक से गांव एक से,
एक सा चेहरा , एक सी सोच
एक ही जीवन एक ही खोज,
एक से हैं हम सारे फिर भी
एक जैसे ना रहते लोग,
एक जैसी सब बात हैं करते
इक दूजे से सब ऐठे हैं,
एक नदी में सफर है सबका
एक नाव में सब बैठे हैं,
एक घाव से सब हैं पीड़ित
एक दर्द सब सहते हैं,
आंखों में एक दर्द उतारे
रोते, गाते रहते हैं,
अलग अलग दुनिया के सारे
एक जगह जाकर बसना है,
आपस में क्यों बैर करें सब
जब मिट्टी में जा मिलना है।

– समन्वय ‘परिंदा’

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समन्वय केंद्रीय विद्यालय, दिल्ली में ११वीं कक्षा में पढ़ते हैं। बचपन में ही बड़े लेखकों वाले तेवर हैं इनमें।
स्वागत है समन्वय आपका।

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