6 महीने का गर्भ और नज़र ओलंपिक मेडल पर

बच्चे को जन्म देने से तीन महीने पहले 50 मीटर फ्रीस्टाइल रेस में हिस्सा लेना डैना वोल्मर के लिए किसी चुनौती से कम नहीं था. इस बार उन्हें पहली बार 50 मीटर भी काफी लंबा लग रहा था.

पिछले साल के रियो ओलंपिक खेलों में अपना सातवां पदक हासिल करने वाली अमेरीकी तैराक डैना वोल्मर आजकल टोक्यो ओलंपिक 2020 की तैयारी में लगी हुई हैं. भले ही टोक्यो ओलंपिक में हज़ार दिन अभी बाकी हैं पर वो गर्भवती होने पर भी इसकी तैयारी में पूरे तरह से जुटी हुई हैं.

आप लोगों को जानकर यह हैरानी होगी कि एरिज़ोना के मेसा में हुये इस तैराकी रेस में उनकी सबसे पहली चुनौती थी अपने लिए नया स्विमिंग कॉस्टयूम ढूंढना. ये इसलिए क्योंकि रियो के वक़्त जो उनका साइज़ 26 था, अब वो बढ़कर 32 हो चुका है.

इसे करने के लिए डैना ने अपने डॉक्टर से अनुमति ली थी और दूसरी तैयारियां भी की थी.

वैसे डैना के लिए यह नया नहीं है. 2012 के लंदन ओलंपिक खेलों में 100 मीटर बटरफ्लाई स्टाइल में स्वर्ण पदक जीतने के बाद डैना ने अपने पहले बेटे को जन्म दिया था और फिर रियो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने के लिए वापसी की.

आपको बता दें कि गर्भावस्था के दौरान ऐसा करने वाली 29  साल की डैना कोई इकलौती खिलाड़ी नहीं है. दुनिया में ऐसा करने में विभिन्न खेलो की विभिन्न महिला खिलाड़ी रही हैं. जैसे

लिसा ब्राउन मिलर– यह अमेरिकी आईस हॉकी प्लेयर थी. जब महिला हॉकी पहली बार 1998 ओलंपिक में शामिल हुआ था तब वो पहली ऐसी खिलाड़ी थी जिन्होंने गर्भावस्था के दौरान खेला और जीता भी.

नूर सुर्यानी तैबि–  यह 2012 ओलंपिक में मलेशिया के लिए शार्पशूटिंग में भाग लेने वाली पहली  महिला थी. इस दौरान यह 8 महीने गर्भ से थी और इन्हें ‘मोस्ट प्रेगनेंट एथलीट’ कहा जाता है.

कोर्नेलिया प्फोह्ल- इन्होनें एक नहीं दो दो बार अपनी गर्भावस्था के दौरान ओलंपिक में भाग लिया है. जर्मनी की इस महिला आर्चर ने जब साल 2000 सिडनी ओलंपिक में भाग लिया तब वो 1 महीने के गर्भ से थी और उन्होंने कांस्य पदक जीता था. चार साल बाद 2004 में एथेंस ओलंपिक के दौरान वो 7 महीने के गर्भ से थीं.

क्रिस्टी मूरे – यह कैनाडा की कर्लिंग खेल की खिलाड़ी हैं. ये वैंकोवर 2010 खेलों के दौरान 5 महीने के गर्भ से थीं और इन्होनें कर्लिंग में रजत पदक जीता था.

अनकी वैन ग्रुनस्वन– यह डच ड्रेसेज (घोड़ों को सँभालने और सिखाने की कला वाला खेल) की एक प्रतिभागी थी. यह 5 महीने के गर्भ से थीं, जब इन्होंने 2004 एथेंस ओलम्पिक्स में स्वर्ण पदक जीता था.

यह तो बस कुछ नाम ही है. ऐसी और बहुत सी खिलाड़ी हैं जिन्होंने अपने गर्भावस्था के अलग अलग अवस्था में ओलंपिक जैसे बड़े खेलों में भाग लिया और जीता भी.

हम और आप अक्सर औरतों को कमज़ोर और निर्बल समझते हैं. उनके ब्यूटी और ब्रेन में ब्यूटी को चुनते हैं. उनकी शारीरिक बनावट को उनकी कमज़ोरी बताते हैं जबकी वो उनकी निर्बलता नहीं सबलता है. क्या कोई मर्द यह कर सकता है? चाहकर भी नहीं. ईश्वर ने बड़ी खास मिट्टी से औरतें बनाई हैं, जो किसी लाल की माई बनकर भी कितनों को हलाल कर सकती हैं. तो अब कभी मत कहिएगा कि औरतें तो सिर्फ ब्यूटी चमकाना जानती हैं, ड्यूटी नहीं. जबकि वो ‘ड्यूटीफुल’ हैं अपने ‘ब्यूटीफुल दिल और दिमाग’ के साथ.