राजस्थान एक ऐसा राज्य रहा है, जहां कांग्रेस और बीजेपी में सत्ता की अदला-बदली सी चल रही है। एक बार बीजेपी सत्ता में आती है तो एक बार कांग्रेस। 2018 में भी यही देखना को मिला और बीजेपी को सत्ता से बाहर करके कांग्रेस के अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बन गए। हालांकि, अभी यह देखना बाकी है कि क्या कांग्रेस का यही माहौल लोकसभा चुनाव में भी रहेगा।
2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी राजस्थान की एक भी लोकसभा सीट नहीं जीत पाई थी। बीजेपी ने 25 सीटें जीतकर क्लीन स्वीप किया था। इस बार सत्ता में लौटने के बाद कांग्रेस वापसी का दम जरूर भर रही है लेकिन बीजेपी भी अपने इस पुराने गढ़ को इतनी आसानी से नहीं देना चाहेगी। वहीं, दो सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल करके यह दिखाने की कोशिश जरूर की है कि वह अभी चुकी नहीं है।
बात अगर 2009 के लोकसभा चुनाव की हो तो कांग्रेस पूरी तरह से हावी थी और उसे 25 में से 20 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। बीजेपी को चार और निर्दलीय उम्मीदवार को एक सीट पर जीत हासिल हुई थी। 2014 में भले ही नतीजे पूरी तरह से उलट गए थे लेकिन इस बार ऐसा होना मुश्किल दिखाई दे रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कांग्रेस के पास गुर्जरों को आरक्षण और किसानों की कर्जमाफी के अलावा कुछ खास है नहीं।
प्रदेश में कुछ सीटों पर असर डालने वाली बहुजन समाज पार्टी ने कांग्रेस का साथ ना देने का ऐलान कर दिया है। कई अन्य छोटी पार्टियां भी कांग्रेस के खिलाफ ही हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि बीजेपी दो-चार सीटें भले ही हार जाए, उसको ज्यादा नुकसान नहीं होने वाला है।
लोकल डिब्बा अनुमान
बीजेपी- 20-22
कांग्रेस- 2-5