यूपी के निकाय चुनावों में काउंटिग से पहले ही बिजली के बढ़े दामों ने आम जनता को ‘छुआ’ दिया है। एकदम भन्न से घोषणा की गई है कि शहरी उपभोक्ताओं के लिए बिजली के दामों में 12 से 15 पर्सेंट तक की बढ़ोतरी की जा रही है। जाहिर है, अगर यही कदम चुनाव से पहले उठाया गया होता तो सत्ता पक्ष को इसका थोड़ा बहुत खामियाजा जरूर उठाना पड़ सकता था। हालांकि, सत्ता पक्ष को तो ये प्रिविलेज चुनाव जीतते ही मिल जाता है कि वह सरकारी मशीनरी का अपने हिसाब से इस्तेमाल करे।
नया कुछ भी नहीं हो रहा है। अब लोगों का जो भी गुस्सा होगा वह अगले चुनाव से जस्ट पहले दामों में थोड़ी कमी करके शांत कर दिया जाएगा। लोग खुश हो जाएंगे। इस बढ़ोतरी में एक चौंकाने वाली बात भी है कि गरीबों को जो 150 यूनिट बिजली फ्री दी जा रही थी, उसे भी घटाकर अब 100 यूनिट कर दिया गया है। कहा जा रहा है कि इस बढ़ोतरी से अगले साल सरकार को कुल 2112 करोड़ रुपये अतिरिक्त प्राप्त होंगे। अब देखना यह होगा कि क्या यह रुपये अब तक अंधेरे में जी रहे लोगों तक बिजली पहुंचाने के काम आएंगे या फिर ये भी टेक्निकल एरर की वजह से गायब हो जाएंगे।
खैर, चुनाव हो ही गए हैं। नतीजे भी लगभग आने वाले ही हैं। शुरुआती रुझानों में दिख भी रहा है कि बीजेपी ज्यादातर सीटें जीतकर आगे ही रहने वाली है। ऐसे में उसके लिए बिजली या पानी के दाम बढ़ाना कोई कठिन काम नहीं है। बीजेपी को भरोसा भी है कि यूपी में बिजली के दाम बढ़ाने से उसे गुजरात चुनाव में कोई खास नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा क्योंकि हमारे देश की जनता रोज टीवी देखती है। जनता को बिजली के बिल से ज्यादा पद्मावती के रिलीज से लेना देना है। जनता को असली चुनावी मुद्दों से ज्यादा यह जानना है कि बिग-बॉस में क्या हो रहा है।
राहुल गांधी ने जनेऊ पहना कि हार्दिक की सीडी आई यह भी बेहद महत्वपूर्ण है, ऐसे में बिजली के दाम 12 पर्सेट बढ़ गए तो क्या बड़ा हो गया।