विद्या बालन का हालिया बयान उस समय तक एकदम सच लग रहा था, जब तक यह नहीं पता था कि उनकी फिल्म भी आने वाली है। पता चली कि विद्या की फिल्म ‘तुम्हारी सुलु’ रिलीज होने वाली है। विद्या फिल्म के प्रमोशन के सिलसिले में या यूं कहें ट्रेंड फॉलो करते हुए तथाकथित रूप से खुद को ‘देशभक्त’ साबित करने बीएसएफ के जवानों के बीच पहुंचीं थीं। विद्या ने इसके बाद एक इंटरव्यू में कहा कि बीएसएफ के जवान उनके स्तनों को घूर रहे थे।
मुझे इस बात पर कोई शक नहीं है कि ऐसा हुआ नहीं होगा लेकिन विद्या जी की इस बात की टाइमिंग पच नहीं रही है। विद्या जी के साथ गलत हुआ है ये मैं भी मानता हूं और यह भी मानता हूं कि हमारे समाज में महिलाओं के अंग विशेष को घूरना, उन पर फब्तियां करना और मौका मिलने पर उन्हें छेड़ देना बहुत ही कॉमन और बेशर्मी भरा कृत्य है। मुझे आश्चर्य है कि क्या विद्या बालन के साथ इससे पहले यह हुआ ही नहीं? क्या वह बीएसएफ के जवान पहले ऐसे इंसान थे, जिन्होंने पहली बार विद्या को गंदी नजरों से देखा?
दरअसल, आजकल नारीवाद की आड़ में एक ट्रेंड चल पड़ा है किसी पर भी आरोप लगाने का। इससे नुकसान महिलाओं को ही होता है। जिन मामलों में ज्यादतियां होती हैं, उनमें महिलाओं की परेशानियों को किसी तरह उन्हीं पर मढ़ दिया जाता है। बॉलिवुड स्टार्स को इंटरव्यू देने की सहूलियत होती है, इससे उनके लिए आरोप लगाना भी आसान होता है। स्तन घूरना किसी को भी असहज कर सकता है लेकिन जब उसी को बोल्ड सीन और अभिव्यक्ति की आजादी का नाम देकर ऊलाला किया जाता है तो क्या मर्द स्तन नहीं घूरते? जिन गानों में चेस्ट आउट स्टेप डांस करते हुए स्तन को बाहर की तरफ जबरदस्ती उभारा जाता है, उनमें ऑब्जेक्ट क्या होता है?
खैर, उन जवानों ने गलत किया है तो उन्हें अनुशासन सिखाया जाना चाहिए। विद्या बालन जी को भी उनकी टाइमिंग के लिए साधुवाद ही कहना चाहिए क्योंकि उनको तथाकथित ‘अभिव्यक्ति की आजादी’ जो है।