उल्लुओं को दिन में कम और रात में ज़्यादा क्यों दिखाई देता है?

उल्लू की आंखें इतनी गजब होती हैं कि वह सबसे ज्यादा देख पाता है. बाकी पक्षी या जानवर 2D में ही देख पाते हैं लेकिन उल्लू 3D में देख सकता है. यानी वह किसी चीज की लंबाई और चौड़ाई के साथ-साथ उसके आकार को भी जान लेता है. उल्लू की आंख के साथ एक दिक्कत होती है कि उसकी आंखे हमारी तरह गोली जैसी नहीं होती, इसलिए उसे और देखने के लिए अपनी मुंडी घुमानी पड़ती है. 

उल्लू अपनी गर्दन को 270 डिग्री तक घुमा भी सकता है. इतनी खूबियां होने के बावजूद उल्लू को दिन में ठीक से नहीं दिखता है. हां, रात में उसे सबसे ज्यादा दिखाई देता है. 

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आइए जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है.

उल्लू के शरीर के हिसाब से उसकी आंखें काफी बड़ी होती हैं. मसलन अगर इंसान की आंख उसके शरीर के कुल हिस्से का तीन हजारवें हिस्से के बराबर होती है, तो उल्लू के आंखें उसके शरीर के 100 में से तीन हिस्से के बराबर होती हैं. इतनी बड़ी आंखों का नुकसान ये है कि पास की चीजों पर उल्लू सही से फोकस नहीं कर पाते. 

जबकि रात में यही बड़ी आंखें हल्की रोशनी में एकदम साफ-साफ देखने में उल्लू की मदद करती हैं. जब दिन में देखने की बात आती है, तो दिन की रोशनी उल्लू की आंखों के लिए ज्यादा हो जाती है, और उसकी आंखें चौंधिया जाती है. चीजें उसकी आंखों के सामने धुंधली दिखती हैं, और उसकी अच्छी आंखें यहां ज्यादा ही अच्छी हो जाती हैं इसलिए उसे ठीक से दिखाई नहीं देता है.

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ठीक से देख न पाने की स्थिति में हो सकता है कि उल्लू दूसरे जानवरों का शिकार हो जाए. इसलिए दिन के समय ज्यादातर उल्लू छिपे रहते हैं. शाम को अंधेरा होते ही उल्लू अपने कोटरों से बाहर आते हैं और अपना शिकार करते हैं.