भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) एक देश-एक चुनाव की पक्षधर नहीं, एक पार्टी-एक देश की पक्षधर है. यह बात हम नहीं, गोवा प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गिरीश चोडणकर कह रहे हैं. बीजेपी ने हर दांव ऐसा चला है कि यह बात सच मानी जा सके. सीमा विस्तार की नीति बीजेपी की चीन से मिलती-जुलती है. जहां जगह दिखे, वहीं कब्जा.
शायद यही वजह है कि कर्नाटक में सियासी उठापठक अभी चल ही रहा था कि गोवा में कांग्रेस के 10 विधायकों ने कांग्रेस का दामन छोड़, बीजेपी को हमसफर बना लिया. चूंकि गोवा में बुधवार शाम 4 बजे तक कांग्रेस के पास 15 विधायक थे, फिलहाल अब कांग्रेस के पास महज 5 विधयाक बचे हैं.
अचानक बीजेपी में जाने से कांग्रेस के विधायकों पर दल-बदल कानून के तहत मुकदमा भी नहीं चलाया जा सकता क्योंकि संख्या 2 तिहाई से ज्यादा है. खास बात यह है कि बीजेपी में गोवा विधान सभा के नेता विपक्ष चंद्रकांत कावलेकर भी शामिल हो गए हैं. मतलब कांग्रेस का सेनापति ही बीजेपी में शामिल हो गया है. आगे क्या ही कहा जाए.
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बिना बीजेपी में शमिल हुए विकास नहीं
गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत का बयान तो देखिए. कांग्रेस विधयाकों के बीजेपी में विलय पर उन्होंने कहा, ’10 कांग्रेस विधायक बीजेपी में शामिल हो गए हैं. बीजेपी की ताकत अब बढ़कर 27 हो गई है. कांग्रेस के विधायक बीजेपी में अपने क्षेत्र के विकास के लिए शामिल हुए हैं. उन्होंने विलय के लिए कोई शर्तें नहीं रखी हैं.’
क्यों भाई, क्या विपक्षी पार्टी के प्रतिनिधियों को संविधान दोयम दर्जे पर रखता है. क्या वे अपने क्षेत्र का विकास नहीं कर सकते. लेकिन बीजेपी तो बीजेपी है.
2017 में हुए विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी कांग्रेस के पास महज 5 विधायक रह जाएंगे. इसके बाद गोवा में बीजेपी को छोटे दलों से छुटकारा मिल जाएगा. अब 40 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 27 विधायक हो गए हैं. 27 का आंकड़ा कम नहीं है. नंबर दो की पार्टी बहुमत में आ गई है वह भी बिना चुनाव के.
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हॉर्स ट्रेडिंग जिंदाबाद
लग रहा है कि अब हॉर्स ट्रेडिंग संवैधानिक हो गया है. हॉर्स ट्रेडिंग इसे नहीं कहेंगे तो और क्या कहेंगे. बीजेपी जिस हिम्मत के साथ कांग्रेस मुक्त भारत के साथ काम कर रही है, लग रहा है पूरे कांग्रेस का बीजेपी में विलय होने वाला है.
पॉलिटिक्स भी कम एडवेंचर गेम नहीं है, सीक्वेल पर सीक्वेल बन रहे हैं. देश में बीजेपी कांग्रेस मुक्त भारत के एजेंडे पर सत्ता में काबिज है और कांग्रेस का दुर्भाग्य यह है कि सच में मुक्त होती जा रही है.
कर्नाटक का किला ढहेगा
कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन तमाम कोशिशों के बाद भी टूटने के कगार पर है. गठबंधन के 13 विधायकों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. एक निर्दलीय विधायक जिसे मंत्री पद हासिल था, उसने भी पद से इस्तीफा देकर बीजेपी का साथ पकड़ लिया है. दस कांग्रेस विधायक और 3 जेडीएस विधायकों का इस्तीफा, बीजेपी के समर्थन के लिए है.
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बीजेपी का दावा ऐसा ही है. बीजेपी सरकार बनाने के लिए पूरी तरह से आश्वस्त है. बीएस येदियुरप्पा का बयान कौन भूल सकता है जब उन्होंने कहा है कि कुमारस्वामी के पास बहुमत नहीं है, उन्हें नैतिक आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए. अगर वे इस्तीफा नहीं देंगे, तो हम धरने पर बैठेंगे, कोर्ट जाएंगे.
राहत की बात कुमारस्वामी के लिए इतनी सी है कि उन्हें स्पीकर रमेश कुमार ने राहत दे दी है. वह भी 6 दिन की. उन्होंने कहा है कि मिले हुए इस्तीफों में से केवल 5 सही हैं, बाकी इस्तीफों का फॉर्मेट सही नहीं है. उन पर कानूनी सलाह लेने के बाद ही विचार करेंगे.
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सत्ता में रहने की हड़बड़ी
बीजेपी को इतनी ज्यादा खलबली मची है कि जैसे सरकार नहीं बनी तो शीर्ष नेतृत्व के प्राण सूख जाएंगे. सरकार कर्नाटक में गिरेगी यह तो तय है, लेकिन इसके साथ ही गिरेगा लोकतंत्र का स्तर भी. साफ दिख रहा है कि राजनीति पार्टियां सत्ता के लिए मर रही हैं, उन्हें हर हाल में सत्ता चाहिए, चाहे वह किसी भी तरह से क्यों न मिले.
इस मंशा में पुलिस भी उसी का साथ दे रही है जिसके पास फिलहाल देश की बागडोर है. कोई राजनीति पूर्वाग्रह नहीं है, लेकिन यह कहना पड़ रहा है. कांग्रेस के बागी विधायकों से जब डीके शिवकुमार मुंबई पहुंचे तो उन्हें पुलिस ने हिरासत में ले लिया. जिस होटल में कांग्रेस के विधायक ठहरे हैं, वहां 144 धारा लगा दी गई है.
टूट रही है कांग्रेस
मतलब, जो रूठे हैं, कांग्रेस उन्हें मना भी नहीं सकती है. कांग्रेस शायह ही 70 वर्षों के इतिहास में इतनी कमजोर रही हो. कर्नाटक को देखकर लग रहा है कि राष्ट्र के अधिपति ने आदेश दे दिया है जा ‘कर नाटक.’
नुसरत जहां धर्म के ठेकेदारों को हर रोज करारा जवाब दे रही हैं
कांग्रेस का बुरा वक्त चल रहा है. लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस 52 सीटों पर सिमट गई. 17 राज्यों में कांग्रेस का नामो-निशां नगीं रहा. बाकी राज्यों में कांग्रेस धीरे-धीरे खत्म हो रही है. यही हाल रहा तो पंजाब, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में आने वाले दिनों में कांग्रेस के नेता बीजेपी में शामिल होंगे.
इन सबसे बेखबर राहुल गांधी पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ चुके हैं. अब अमेठी जाकर उन्होंने कह ही दिया है कि विपक्ष का काम ज्यादा मजेदार होता है, कहीं यही मजा कांग्रेस की नियति न बन जाए.