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उत्तराखंड: राज्य की राजनीति का संक्षिप्त परिचय

उत्तर प्रदेश से अलग होकर 2000 में उत्तराखंड नया राज्य बना। प्रदेश में मुख्य पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस हैं। इनके अलावा समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और लेफ्ट की कुछ पार्टियां भी कभी-कभार विधानसभा या स्थानीय चुनावों में जीतती रही हैं। हालांकि, ये पार्टियां कभी सत्ता तक नहीं पहुंच पाई हैं। 2000 में राज्य के गठन के बाद से ज्यादातर मुख्यमंत्री बीजेपी के ही रहे हैं।

कांग्रेस की ओर एनडी तिवारी, विजय बहुगुणा और हरीश रावत मुख्यमंत्री रहे। प्रदेश की पांच लोकसभा सीटों पर फिलहाल बीजेपी का कब्जा है। प्रदेश में एकमात्र बड़े नेता हरीश रावत भी 2017 के विधानसभा चुनाव में अपनी सीट पर चुनाव हार गए थे। प्रदेश में बीजेपी की ही सरकार भी है। कहा जा रहा है कि हिमाचल की तरह ही उत्तराखंड में कांग्रेस के लिए राह बहुत कठिन है।

वहीं, 2009 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो कांग्रेस हावी रही थी और उसे पांच में से चार सीटें मिली थीं। हालांकि, 2012 में टिहरी गढ़वाल सीट पर उपचुनाव के बाद कांग्रेस के हाथ से यह सीट भी जाती रही थी। 2004 के लोकसभा चुनाव में मामला रोचक रहा था, जब पांच में से तीन सीट बीजेपी को, एक सीट कांग्रेस को और एक सीट पर समाजवादी पार्टी को जीत मिली थी।

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2019 के लोकसभा चुनाव में एसपी और बीएसपी ने यूपी के अलावा मध्य प्रदेश और उत्तराखंड में भी गठबंधन कर लिया है। गठबंधन पांच से में से चार सीटों पर चुनाव लड़ेगा, जिसमें एक सीट पर एसपी और तीन सीटों पर बीएसपी अपने उम्मीदवार उतारेगी। ऐसे में कांग्रेस का और ज्यादा नुकसान हो सकता है। अगर गठबंधन को ठीक-ठाक वोट मिल गए तो कांग्रेस एक बार फिर से जीरो ही रह सकती है।

लोकल डिब्बा का अनुमान
बीजेपी- 3-4 सीट
कांग्रेस- 1-2 सीट
एसपी-बीएसपी- 0 सीट

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