अफवाहों का बाजार गर्म है. अटकलें तथ्यों की तरह पेश की जाती हैं. अनुमान सूत्र हो गए हैं. आशंकाएं सच मान ली जा रही हैं. कश्मीर में कुछ बड़ा होने वाला है, कुछ बड़ा होने वाला है. बार-बार हर टीवी चैनल पर यही खबर पेश की जा रही है. ग्राउंड रिपोर्ट के नाम पर लोग कुछ भी लेकर आ रहे हैं. देशभक्ति के रंग में रंगे चैनलों को लग रहा है कि बस इस बार आर या पार.
लाहौर में तिरंगा लहराने वाला है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान, ग्लोबल आतंकी हाफिज सईद, मौलाना मसूद अजहर, दाऊद इब्राहिम सबको साथ लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के चरणों में लोट जाने वाले हैं. अभी पाकिस्तान अपने जान की भीख मांगने वाला है, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 35-ए और अनुच्छेद 370 का प्रभाव हटने वाला है. पाक अधिकृत कश्मीर भारतीय सेना लपक लेने वाली है. बेहद तथ्यात्मकता से काम करने वाले मीडिया संस्थानों का यही सोचना है.
स्थानीय नेता भी हैं निशाने पर
दूसरा पक्ष कश्मीर के नेताओं का है. अलगाववादियों से बाद में निपटें, पहले पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला, उनके पिता श्री फारूक अब्दुल्ला, कांग्रेस के दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद अलग ही माहौल बना रहे हैं.
अनुच्छेद 370 और 35-ए के समर्थक इन नेताओं को अलग ही आशंका खाए जा रही है.
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अटकी है विपक्ष की सांस
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने जम्मू कश्मीर के मौजूदा हालात पर कह रहे हैं कि कश्मीर में जो हो रहा है, वह बेहद चिंताजनक है. इस वक्त घाटी में अतिरिक्त सुरक्षाबल तैनात करना चिंताजनक है. कश्मीर और लद्दाख के लोग गृह मंत्रालय की एडवाइजरी के बाद काफी डरे हुए हैं. ऐसा तो तब भी नहीं हुआ, जब घाटी में आतंक चरम पर था.
महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला एक स्वर में बोलते नजर आ रहे हैं. मालूम हो दोनों की राजनीति की कश्मीरियत पर टिकी हुई है, दोनों हर चुनावों में एक-दूसरे के सबसे बडे़ प्रतिद्वंद्वी हैं. लेकिन कश्मीर बचाने के लिए सभी विपक्षी दलों को एकजुट होने की सलाह दे रहे हैं. कश्मीर में अनुच्छेद 35-ए और अनुच्छेद 370 के बदलाव पर केंद्र सरकार को धमकी देने वाली महबूबा ने एक बार कहा था कि अगर इन अनुच्छेदों से छेड़छाड़ की जाती है तो कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं होगा.
कश्मीर में क्या करना चाहती है नरेंद्र मोदी सरकार
फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला का भी अलग ही राग है. दोनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हाल ही में अपने संभावित डर पर बात की. राज्यपाल सत्यपाल मलिक से भी मुलाकात की. पर डर उन्हें अब भी लग रहा है कि कश्मीर में कुछ बड़ा होने वाला है. उन्होंने खुद कहा है अनुच्छेद 35-ए से छेड़छाड़ न करने का वादा केंद्र कर चुकी है, लेकिन सदन में भी उन्हें यह बात कहनी है. क्या होने वाला है, भगवान ही जाने लेकिन डर का माहौल मस्त बनाया गया है.
मुस्लिमों का होगा नरसंहार!
पाकिस्तान के दुलारे और हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नेता सैयद अली गिलानी का ट्वीट तो डराने वाला है. उन्होंने अपने ट्वीट में मुस्लिमों को चेतावनी दी है कि बीजेपी सरकार नरसंहार करने वाली है.
गिलानी ने लिखा, ‘इस ट्वीट को हमारी आत्मा को बचाने की गुहार मानी जाए. हमारी यह पुकार पूरी दुनिया के मुसलमानों के लिए है. अगर हम मर जाते हैं और आप चुप्पी साधे हुए रहते हैं तो आप अल्लाह के दरबार में जवाबदेह होंगे. हिंदुस्तानी मानव इतिहास में सबसे बड़ा नरसंहार करने जा रहे हैं. अल्लाह हमारी हिफाजत करे.’
किस बात का है डर?
अचानक कश्मीर के नेताओं सहित विपक्ष के नेताओं में खलबली यूं ही नहीं मची है. कश्मीर में इन दिनों अलग ही खींचतान चल रही है. अचानक कुछ फैसले ऐसे हुए हैं जिनके बाद से तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं. पहले जम्मू-कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती, फिर अमरनाथ यात्रा में समय से पहले आई रुकावट, तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों को घाटी छोड़ने की औचक एडवाइजरी, लोगों का डर गलत नहीं है.
किसी को भी कुछ नहीं पता है कि हो क्या रहा है. सिर्फ कयास लगाए जा रहे हैं. मीडिया में खबरें हैं कि लगभग 35 हजार जवानों को कश्मीर में तैनात किया गया है. क्यों किया गया है, इसका पता खुद एनडीए सरकार के मंत्रियों को भी नहीं होगा.
मिशन ऑल आउट!
इसी बीच ऐसी भी खबर आ रही है कि जम्मू-कश्मीर के केरन सेक्टर में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी बॉर्डर एक्शन टीम की घुसपैठ की कोशिशों को नाकाम कर दिया. आतंकियों के साथ मुठभेड़ में भारतीय सेना ने 5 से 7 पाकिस्तानी सेना के बैट कमांडो को मार गिराया है. यही खबर सच हो सकती है. बाकी सब अटकलें हैं.
अफवाह ही खबर है
जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने एक टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में कहा कि कश्मीर में अफवाहें ही खबरें हैं. सच्चाई भी वही है. कश्मीर में जो हो रहा है, जो होने की आशंका या संभावना जताई जा रही है, सब मोहमाया है. कुछ न होना है, न जाना है. जो चल रहा है वही चलेगा.
हो सकता है वक्ती उथल-पुथल के चलते हिंदी भाषी राज्यों में भारतीय जनता पार्टी को जीत मिल जाए…सरकार बन जाए….
जैसे राम मंदिर का समाधान नहीं, वैसे ही कश्मीर का कोई समाधान नहीं होने वाला है. वैसे अगर हो जाता है तो अच्छी बात है…नहीं तो वही बात…जो भी अफवाह है, वही खबर है…..मीडिया उसे ही भुनाएगी….सबसे तेज…सबसे पहले.
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