राजनीति की सबसे उर्वर जमीन बिहार में चुनाव की शुरुआत हो गई है. सबसे अहम सवाल है कि अबकी कौन जीतेगा? एक तरफ हैं ‘सुशासन बाबू’ उर्फ नीतीश कुमार. दूसरी तरफ भकुआया हुआ विपक्ष. लालू प्रसाद यादव के जेल में होने के चलते राष्ट्रीय जनता दल बुरी तरह बिखरा हुआ है. पार्टी के कई नेता तेजस्वी यादव के नेतृत्व को मानना नहीं चाहते हैं. यही कारण है कि विपक्ष भी तेजस्वी के नाम पर एकजुट नहीं हो रहा है.
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कहां जाएंगे चिराग पासवान?
नीतीश के नेतृत्व में एनडीए ऑलमोस्ट एकजुट है. चिराग पासवान जरूर जेडीयू को लेकर सहज नहीं दिख रहे हैं. हालांकि, जानकारों का मानना है कि यह सिर्फ बार्गेनिंग पावर बढ़ाने की कोशिश है. मशहूर मौसम वैज्ञानिक राम विलास पासवान ने भी अपना दांव चलने के लिए पार्टी की बागडोर चिराग पासवान को दे रखी है.
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नीतीश को कौन देगा चुनौती?
कुल मिलाकर अभी भी एक भी ऐसा चेहरा नहीं है, जो सीधे तौर पर नीतीश कुमार को टक्कर दे रहा हो। नीतीश कुमार के खिलाफ थोड़ा-बहुत माहौल खराब भी है लेकिन विकल्पहीन बिहार नीतीश के आगे कुछ और सोच नहीं पा रहा है। नए चेहरों के रूप में पुष्पम प्रिया चौधरी जैसे युवा भी हैं लेकिन राजनीति के धुरंधरों के बीच ऐसे युवाओं का टिकना आसान काम नहीं है.
बिहार में दोहराएगा लोकसभा चुनाव 2019?
इस प्रकार माहौल 2019 के लोकसभा चुनाव वाला बन रहा है. जिसमें बार-बार एनडीए और बीजेपी के नेता सवाल पूछते थे कि मोदी वर्सेज हू? कई भाजपाई पत्रकार भी यही सवाल हर रात टीवी पर बैठकर पूछते थे. जनता भी इसी सवाल में उलझ गई थी. जनता उन्हीं मुद्दों को भूल गई थी, जो अब फिर से याद आ रहे हैं. यही माहौल बिहार में भी है. लोग नीतीश से नाराज तो हैं लेकिन नीतीश वर्सेज हू के नाम पर फिर सिमट जाते हैं. अब देखना होगा कि बिहार इस सवाल से बाहर निकल पाता है कि नहीं.