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ये 5 काम करिए लॉकडाउन बहुत आसान हो जाएगा

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कोरोना वायरस ने सबको घरों में लॉक कर दिया है। वक्त की जरूरत भी यही है। खाने-पीने की ज्यादा चिंता मत करिए। कैसे भी करके खाने-पीने का जुगाड़ हो ही जाएगा। खुद की बजाय उनकी चिंता करिए, जिनका इंतजाम नहीं हो पाएगा। आसपास कुछ जरूरतमंद लोग हैं तो मदद करिए। सब करके जब यह मौका आए कि घर में बंद होकर क्या किया जाए तो हमारी बात मानिए। नीचे कुछ जरूरी चीजें बता रहे हैं, सही लगे तो कर डालिए।

थोड़ा ठहर जाइए

भागदौड़ भरी इस जिंदगी में रुकना मना नहीं है। इसे मान लीजिए। आज रुकना जरूरी है। जहां हैं, वहीं रुक जाइए। घबराइए मत। भागिए मत। यही इलाज है, यही समस्या का हल है। साफ-सफाई रखिए और जरूरी होने पर ही बाहर निकलिए। 21 दिन बचा ले गए तो देश बच जाएगा, समाज बच जाएगा। बाहर जाएंगे तो समस्या बढ़ेगी।

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सब किताबें पढ़ डालिए

पुस्तक मेले में तीन साल पहले जो किताबें ली थीं, उसे भी पढ़ डालिए। जो कुछ बचा हुआ है, सब पढ़ लीजिए। पढ़ने का इतना शानदार मौका शायद जिंदगी दोबारा नहीं देगी। कैसी भी किताब हो, उसे पढ़िए। पढ़िए तो उसे समझिए भी। उसे जिंदगी में अमल में लाइए। चाहे ज्ञान बढ़ाइए, चाहे खुद को सुधारिए लेकिन किताबों का इस्तेमाल जरूर करिए।

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परिवार में लौट आइए

आमतौर पर भागदौड़ में लोग अपने ही घरवालों को भूल जाते हैं। भूल जाते हैं कि बच्चों का होमवर्क कैसे पूरा होता है। भूल जाते हैं मां-पापा आपसे कुछ कहना भी चाहते हैं। शायद यह भी भूल जाते हैं कि खुद क्या हैं, कौन हैं। तो इस ‘लॉकडाउन’ का फायदा उठा लीजिए। परिवार को वक्त दीजिए और सबकुछ समझिए। हर तकलीफ, हर दर्द और हर एहसास को समझ लीजिए।

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घर को संवार लीजिए

अपने ही घर से मिलिए। घर से उन कोनों से भी मिल लीजिए, जिनमें आपके बचपन की यादें छिपी हुई हैं। उस बक्से को खोल लीजिए, जिसमें आपकी पुरानी किताबें, कपड़े, कॉमिक्स और छोटे-छोटे खिलौने रखे हुए हैं। हर चीज में जो यादों की खुशबू आएगी, वो हर गम और अकेलेपन को भूल जाने का मौका देगी। यादों की खुशबू से बेहतर कुछ भी नहीं होगा, इसकी गारंटी है।

हरियाली लौटाइए

घरपर कुछ गमले होंगे। नहीं हैं तो पुराने डिब्बे निकालिए। उनमें थोड़ी मिट्टी भर दीजिए और संवारिए हरियाली। यही मौका है। कुछ फूल, कुछ सजावट और कुछ छोटी-मोटी सब्जियां, सब गमले में ही उगा डालिए। 21 दिन की ये मेहनत आपको काफी स्वस्थ और खुश बनाएगी। जमीन से जुड़ने का यही मौका है। जमीन और हरियाली ही जीवन है, ये समझने का मौका इन 21 दिनों में है।

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