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छठ पूजा: उत्तर भारत का ग्रेट कार्निवाल

Hindu devotees offer prayers to the Sun god during the Hindu religious festival "Chhat Puja" in the northern Indian city of Chandigarh November 1, 2011. Hindu devotees worship the Sun god and fast all day for the betterment of their family and society during the festival. REUTERS/Ajay Verma (INDIA - Tags: RELIGION SOCIETY)

बिहार का महापर्व छठ जिसे आज भारत के बहुत से राज्यों में बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है, उसकी शुरुआत हो चुकी है। दीवाली के छठवें दिन से शुरू होने वाला यह महापर्व बिहार का सबसे बड़ा और प्राचीन पर्व है। इस पर्व में सूर्य की आराधना की जाती है। माना जाता है कि भगवान श्री राम जी की पत्नी माता सीता ने पहली बार सूर्यदेव की पत्नी छठी मैया का पूजन किया था और व्रत भी रखा था, तभी से इस पर्व की शुरुआत हो गयी।

छठ पर्व की लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही है, पहले यह पर्व सिर्फ बिहार तक सीमित था लेकिन अब यह पर्व बहुत से राज्यों जैसे उत्तरप्रदेश, झारखण्ड, दिल्ली इत्यादि राज्यों में भी मनाया जाने लगा है, चार दिनों तक चलने वाला यह महापर्व ‘नहाय खाय’ से शुरू होता है और फिर महिलाएं उपवास रखती हैं। पूरा दिन उपवास रखने के बाद शाम को पूजा करके भोजन ग्रहण करती हैं। अगले दिन से फिर उपवास शुरू हो जाता है और यह अंतिम उपवास होता है जो लगभग 36 घंटे का होता है। यही दिन छठ पूजन का दिन होता है। इस दिन शाम को महिलायें डाल सजाकर घाट पर ले जाती हैं और वहां ढलते हुए सूर्य की पूजा की होती है। पूजा के बाद फिर सभी घर आ जाते हैं।

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अगले दिन भोर में सूर्योदय से पहले लोग फिर घाट पर पहुँचना शुरू कर देते हैं, सभी को सूर्योदय का इंतज़ार रहता है क्योंकि महिलायें उगते हुए सूर्य को देख कर अपना व्रत तोड़ती हैं, फिर जाकर यह पर्व संपन्न होता है। इस पर्व पर लोगों का उत्साह देखने लायक रहता है। बाज़ारों की रौनक बढ़ी रहती है। इस पर्व की बिहार में इतनी लोकप्रियता है कि घर से दूर रहने वाले लोग दीवाली में घर आये या ना आये लेकिन छठ पूजा के लिये अपने घर जरूर पहुँचते हैं। ये पर्व भले ही सीमित राज्यों में ही मनाया जाता है लेकिन इस पर्व की चर्चायें पूरे देश में रहती है क्योंकि यह बहुत ही अद्भुत पर्व है।

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