20 सितंबर को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद शेयर मार्केट ऐसा उछला कि इतिहास बन गया। दरअसल, भारत सरकार ने कॉर्पोरेट टैक्स को एक झटके में 30 पर्सेंट से घटाकर 22 पर्सेंट कर दिया। वहीं, नई कंपनियों के लिए इसे 15 पर्सेंट कर दिया गया है। सरकार का मानना है कि इससे नई कंपनियां भारत में निवेश करेंगी। पुरानी कंपनियों को राहत मिलने से उनकी भी उदासीनता खत्म होगी। कुल मिलाकर प्लान यह है कि निवेश बढ़ेगा तो रोजगार छिनना रुक जाएगा। उद्योगपति और निवेश करेंगे और देश मालामाल हो जाएगा।
हालांकि, यह सब इतना आसान नहीं भी नहीं है। फिर भी सरकार ने अपनी ओर से कोशिश की है, अब गेंद उद्योगपतियों और पैसे वालों के पाले में है। वे चाहें तो अपने पैसे नए निवेश में लगाएं या उत्पादन बढ़ाएं। या फिर वे इस राहत से बचने वाले पैसों से अपने पुराने कर्ज चुकाएं। वे चाहें तो घालमेल करके और चार्टर्ड अकाउंटेट की कलाकारी से खुद के पैसे निवेश की बजाए कहीं और इस्तेमाल करें।
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अब आते हैं मुद्दे पर, मोदी-मनमोहन पर!
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह बहुत बड़े अर्थशास्त्री कहे जाते हैं। उनको पिछले समय में आर्थिक मंदी के समय भारत का संकटमोचक कहा गया। अब यहां उनकी बात क्यों हो रही है, वह भी समझिए। दरअसल, निर्मला सीतारमण ने जो घोषणाएं की हैं, उनमें कई बातें ऐसी हैं, जो कुछ दिन पहले ही मनमोहन ने सुझाव के रूप में बताया था।
मनमोहन सिंह के इस सुझाव को ‘नारद मुनि’ यानी पत्रकारों ने सामने लाया। मनमोहन ने पांच बिंदुओं में सरकार को सलाह दी थी कि किस तरह से अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जाए और उसे और बिगड़ने से रोका जाए।
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1.जीएसटी
मनमोहन सिंह ने नोटबंदी और जीएसटी पर खराब अर्थव्यवस्था का ठीकरा फोड़ा। उनके मुताबिक, नोटबंदी का तो कुछ कर नहीं कर सकते तो जीएसटी घटा दी जाए। उनके मुताबिक, नुकसान झेल रही इंडस्ट्रीज जैसे कि ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को जीएसटी में राहत दी जाए।
सरकार ने किया किया?
सरकार ने होटेल इंडस्ट्री, जूलरी और कुछ खास किस्म के रक्षा उत्पादों पर जीएसटी में थोड़ी बहुत राहत दे दी है। इसके अलावा 10-13 सीटर पेट्रोल वाहनों पर सेस को घटाकर तीन पर्सेंट कर दिया गया है। हालांकि, ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को सीधी राहत नहीं मिली है। संभव है कि वे कॉर्पोरेट टैक्स में छूट का फायदा उठा पाएं।
2.डिमांड सुधारें
अर्थव्यवस्था वही बढ़िया मानी जाती है, जहां डिमांड और सप्लाई संतुलित रहे। डॉ. मनमोहन सिंह ने भी यही सलाह दी कि सरकार को ऐसे प्रयास करने चाहिए कि डिमांड बढ़े।
सरकार ने क्या किया?
सरकार ने कॉर्पोरेट टैक्स घटाकर एक तीर से कई निशाने लगाने की कोशिश की है। सरकार का कहना है कि इससे कंपनियां निवेश करेंगी तो लोगों के पास भी पैसे बढ़ने की संभावना है। जैसे कि कंपनियां जमीन खरीदेंगी, इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए खरीदारी होगी और लोगों को भी काम मिलेगा।
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3.लेबर बेस्ड सेक्टर्स पर ध्यान
ऑटो मोबाइल और इस तरह की इंडस्ट्रीज में ज्यादातर लोग डेली वेज पर काम करते हैं। मतलब उनकी कोई जॉब सिक्यॉरिटी नहीं है। कंपनी गाड़ी बनाएगी तो उनकी जरूरत है, नहीं बनाएगी तो उनकी जरूरत नहीं है। फिलहाल ऑटो मोबाइल इंडस्ट्री में यही चल रहा है।
सरकार ने क्या किया?
सरकार ने फिलहाल इसपर कोई कदम नहीं उठाया है। इसी को लेकर कई लोगों का कहना है कि कॉर्पोरेट टैक्स में छूट का फायदा बड़े उद्योगपतियों को तो होगा, वही फायदा नीचे पहुंचेगा कि नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं है।
4.पैसा बढ़ा दिया जाए
मनमोहन सिंह के मुताबिक, व्यापारियों के पास पैसा ना होने के चलते निवेश या प्रॉडक्शन नहीं हो रहा है। इसका कारण उन्होंने जीएसटी और नोटबंदी को बताया।
सरकार ने क्या किया?
सीधे तौर पर समझिए कि कॉर्पोरेट घटने का फायदा क्या होगा। मान लीजिए कि आपने 100 रुपये कमाए। अभी तक कॉर्पोरेट टैक्स के मुताबिक, आपको 30 रुपये टैक्स देना पड़ता था लेकिन अब 22 देना पड़ेगा। मतलब पहले आपके पास बचते थे 70 रुपये लेकिन अब बचेंगे 78 रुपये। मतलब प्रति 100 रुपये पर आपको 8 रुपये का अतिरिक्त लाभ हो रहा है। बड़े उद्योगपति हजारों करोड़ का निवेश करते हैं। उनके लिए यह 8 पर्सेंट का गैप काफी फायदेमंद होगा तो उनके पास पैसा ज्यादा होगा, जिसे वे और निवेश में लगा सकते हैं।
5.निर्यात के मौके बढ़ाए जाएं
अर्थव्यवस्था बेहतर हो इसका एक तरीका यह भी होता है कि आप आयात कम करें और निर्यात ज्यादा करें। मतलब आप विदेश से सामान मंगाएं कम लेकिन भेजें ज्यादा। फिलहाल अमेरिका और चीन में खींचतान चल रही है। मनमोहन सिंह के मुताबिक, सरकार को ऐसा रोडमैप तैयार करना चाहिए कि इसका फायदा हम उठा सकें।
सरकार ने क्या किया?
पहले तो यह समझिए कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर एशियाई देशों में ज्यादा काम करता है। यानी कि ऐपल जैसी कंपनियां भी सॉफ्टवेयर तो अमेरिका में बनाती हैं लेकिन उसका हार्डवेयर चीन और उसके आसपास के देशों में बनता है। जाहिर तौर पर चीन को इसके एक्सपोर्ट और मैन्युफैक्चरिंग दोनों का फायदा मिलता है। अब सरकार ने नई कंपनियों का कॉर्पोरेट टैक्स 15 पर्सेंट कर दिया है, जोकि सेस के साथ लगभग 17 पर्सेंट हो जाएगा। इसी से साथ भारत कई एशियाई देशों को टक्कर दे रहा है। इससे सरकार को उम्मीद है कि चीन से हटने का मूड बना रहीं कंपनियां भारत आ जाएंगी और चीन या अन्य देशों को मिलने वाला फायदा धीरे-धीरे भारत की ओर शिफ्ट हो जाएगा।
फिर फंस रही है कांग्रेस
मजे की बात है कि मनमोहन सिंह की बातों में से ज्यादातर से सरकार भी सहमत है और उसी के हिसाब से कदम उठाए भीं है। जाहिर तौर पर दो लोगों के एक ही काम में भी अंतर होते ही हैं। वे मनमोहन की सलाह और मोदी सरकार के फैसले में भी हैं। इसके बावजूद कांग्रेस नेता जयराम रमेश इससे पूरी तरह सहमत नहीं दिखे। वहीं, राहुल गांधी ने तो इसे हाउडी मोदी से सीधे तौर पर जोड़ा है।
सरकार ने कई और ऐलान भी किए हैं, जिनके नतीजे एक झटके में सेंसेक्स पर दिखे। लंबे समय में इसका असर देखना बाकी है। हालांकि, कई लोगों की आशंका है कि कॉर्पोरेट टैक्स में छूट मिलने पर जो पैसा इंडस्ट्रीज के पास बचेगा, उसका इस्तेमाल सही होगा या नहीं। उनका कहना है कि कंपनियां इस पैसे को निवेश करने की बजाय अपने बकाया लोन चुकाने या शेयरहोल्डर्स को लौटाने में भी इस्तेमाल कर सकती हैं।