आज कल पूरे देश भर में एक ‘भय’ का माहौल बन रहा है। भीड़ आती है, आप पर कोई आरोप लगाती है और बिना न्याय व्यवस्था का सहारा लिए खुद न्याय करने लगती है। आप पर ‘लंच’ में बीफ खाने का आरोप लगाकर आपकी ‘लिंचिंग’ कर दी जाती है।
तथाकथित गौ भक्त अब देश भर में निगरानी कर रहे हैं कि कहां पर क्या खाया-पिया जा रहा है और थोड़ा सा भी शक होने पर ‘ऑन दी स्पॉट’ कार्रवाई करने में झिझक नहीं रहे हैं। ये लोग इतना तो ध्यान रख रहे है कि कब और कहां, क्या खाया पिया जा रहा है, पर ये लोग उन गायों की देखभाल नहीं कर कर पा रहे हैं जिनकी जिम्मेदारी लिए घूम रहे हैं। और जिनके देखभाल के लिए इन्हें आर्थिक सहयोग भी मिलता है।

 

ताजा मामला भाजपा शासित राज्य राजस्थान के उदयपुर शहर से सामने आ रहा है, जहां के नगर निगम के सरकारी गौ शाला में पिछले 6 महीनों में 150 गौवंशी पशुओं की मौत हो चुकी है। दरअसल उदयपुर के तितरडी इलाके में आवारा गौवंशी पशुओं की देखभाल के लिए नगर निगम ने एक गौशाला बनवाई है और बड़ी संख्या में यहां पर लावारिस गायों का पालन चलता है। मगर पिछले कुछ महीनों से यहां की स्थिति बिगड़ी हुई नजर आ रही है और हर दिन औसतन एक गाय की मौत की खबर आ रही हैं। गौशाला में पशुओं की देखभाल और उनको चारा देने में लापरवाही बरती जाती है।

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स्थानीय रिपोर्ट के अनुसार पशुओं के लिए खरीदे गए चारे को रखने के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई है और अक्सर बारिश के दौरान चारा भीगकर खराब हो जाता है। गौशाला के अंदर साफ़ सफाई की स्थिति भी बदतर है और गायों के पीने का पानी भी प्रदूषित है। ऊपर से गौशाला प्रबंधन और नगर निगम में भी आपसी खींच तान चलता रहता है, जिसका खामियाजा इन बेजुबान पशुओं को उठाना पड़ रहा है। बावजूद इसके कोई भी जिम्मेदार अधिकारी इसकी सुध लेने को तैयार नहीं है। 250 की क्षमता वाली गौशाला में 325 पशुओं को रखा गया है। गाय, बैल और बछड़े सभी एक छत के नीचे रहते हैं ।
यह हाल तब है जब निगम ने गौशाला की देखभाल के लिए 1 करोड़ रुपये का वार्षिक बजट मंजूर किया है। पर इस बजट का क्या होता है, ये या तो गौशाला प्रबंधन जानता है या नगर निगम। दिलचस्प बात यह है कि दोनों संस्थाएं इस अव्यवस्था के लिए एक दूसरे पर आरोप लगाते रहते हैं। गौशाला सामिति के अध्यक्ष रमेश चंदेल ने कहा कि गायों की मौत चिंता का विषय है पर इसके लिए सरकारी व्यवस्था और नगर निगम जिम्मेदार है। वहीं नगर निगम के महापौर चन्द्र सिंह कोठारी ने कहा कि मरे हुए पशुओं का पोस्टमॉर्टम कराया जाएगा और रिपोर्ट के आधार पर ही आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

गौरक्षा के नाम पर राजनीति अब खुल के हो रही है। कभी गायों के नाम पर इंसानों को मारा जा रहा है और कभी गायों को इंसान मरता हुआ छोड़ दे रहे हैं। इसमें सरकार हमेशा की तरह मूक दर्शक बनी हुई है या कहें मौन समर्थन दे रही है। ताकि गौरक्षा के नाम पर राजनीति की जा सके।