हवा में कम उंचाई पर उड़ते हवाई जहाज और हेलिकॉप्टर कौतूहल का विषय होते हैं. अक्सर गांवों के ऊपर से गुजरने वाले हेलिकॉप्टर के पीछे बच्चे भी दौड़ने लगते हैं. आपने भी यह ज़रूर किया होता है. एक और हवाई जहाज जाते हैं, जो अपने पीछे सफेद लकीर बनाते हुए जाते हैं. कहीं पर इसे गूंगी जहाज (बिना आवाज वाली) तो कहीं स्प्रे वाला रॉकेट कहा जाता है. जगह के हिसाब से इसके बारे में अफवाहें बदलती रहती हैं. तो इस सफेद लकीर वाले जहाज की सच्चाई क्या है आइए हम बताते हैं.
दरअसल, हवाई जहाज के उड़ने के लिए ऊंचाई तय की जाती है. आपने सुना होगा कि फलां जहाज 8000 फीट तो फलां जहाज 35000 फीट पर उड़ता है. होता ये है कि जैसे-जैसे ऊंचाई बढ़ती, माहौल ठंडा हो जाता है. मतलब ऊपर जाने पर ठंडी लगती है.
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हवा में जम जाता है धुआं
और जेट और हवाई जहाज उड़ाने के लिए जो ईंधन लगता है, उसमें से निकलने वाला धुआं काफी खतरनाक होता है. यही धुआं जब ठंडी हवा (लगभग -40 डिग्री तापमान) में निकलता है तो जम जाता है. जैसे सर्दियों में मुंह से हवा छोड़ने पर आपके मुंह के आगे धुआं जैसा दिखता है, ठीक वैसा ही है.
लेकिन ये तभी होता है, जब हवाई जहाज काफी ज्यादा ऊंचाई पर होते हैं. कम ऊंचाई पर उड़ रहे जहाजों का धुआं दिखाई नहीं देता है. क्योंकि वहां तापमान ज्यादा होता है और जहाज से निकलने वाले धुआं जमने नहीं पाता है. यही कारण है कि आप अक्सर देखते होंगे कि कुछ जहाजों में धुआं दिखता है और कुछ में नहीं दिखता है.
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मौसम का हाल भी बताता है यह धुआं
इस धुएं को कंट्रेल कहते हैं. ये कंट्रेल भी मौसम और ऊंचाई के हिसाब से अलग-अलग तरह के होते हैं. अगर नमी ज्यादा होती है तो यह धुआं काफी देर तक वैसे ही जमा रहता है. नमी कम होने पर धुआं तुरंत ही गायब हो जाता है. इसी धुएं को देखकर मौसम वैज्ञानिक पूर्वानुमान भी लगाते हैं. अगर ये कंट्रेल जल्दी से गायब हो जाता है तो इसका मतलब है कि मौसम साफ है, लेकिन अगर ये काफी देर तक हवा में जमा रहता है तो इसका मतलब है कि तूफान आ सकता है.
यह धुआं नुकसानदायक भी होता है. ज्यादा हवाई जहाज उड़ने की वजह से वायुमंडल तो दूषित होता ही है, ओजोन की परत को भी नुकसान पहुंचता है. तो हमारे काम की बात यह थी कि ये जहाज आम जहाज ही होते हैं, बस इनकी ऊंचाई में फर्क होने से धुआं दिखता है या नहीं दिखता है.