क्रिकेट में तीन स्टंप ही क्यों होते हैं? समझिए पूरी कहानी

भारत में क्रिकेट वही खेल है, जिससे या तो आप प्यार करते होंगे नहीं तो नफरत करते होंगे. यह तो तय है कि आप इसे जानते जरूर होंगे. अब अगर क्रिकेट जानते होंगे तो यह भी जानते ही होंगे कि स्टंप क्या होता है. क्या आप यह जानते हैं कि क्रिकेट में एक सेट में तीन स्टंप ही क्यों होते हैं? हां, बेसिक कॉन्सेप्ट आउट करने और आउट होने से बचने के लिए है लेकिन यहां सवाल यह है कि तीन ही क्यों?

आइए हम तो हैं ही न बताने के लिए. दरअसल, स्टंप शुरुआत में तीन नहीं थे. कहीं पर एक ही स्टंप से क्रिकेट खेला जाता था. धीरे-धीरे दो स्टंप से आधिकारिक तौर पर मैच खेले जाने लगे. तब तो स्टंप होते थे और उनको जोड़ने वाली एक गिल्ली होती थी. लेकिन 1770 से 1780 के बीच क्रिकेट के कई बेसिक नियम तय होने लगे थे. 1771 में बैट की चौड़ाई 10.79 सेंटीमीटर तय की गई. 1774 में गेंद का वजन 163.01 ग्राम तय किया गया, जोकि आज तक बदला नहीं गया.

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एक घटना ने सोचने पर किया मजबूर

तीन स्टंप को लेकर कोई नियम तय नहीं हुआ था लेकिन 1775 की एक घटना ने इसका आधार रखा और तब से लेकर अब तक क्रिकेट में तीन स्टंप ही होते हैं.साल 1775 में 11-11 खिलाड़ी न मिल पाने की कंडीशन में पांच-पांच खिलाड़ियों के मैच हुए. एक टीम थी फाइव ऑफ केंट और दूसरी थी फाइव ऑफ हैंब्लेडॉन (Hambledon). मैच दो दिन में खेला जाता था. इस मैच की पहली पारी में फाइव ऑफ केंट सिर्फ 37 रन पर सिमट गई. जवाब में हैंब्लेडॉन ने 92 रन बनाए, जिसमें जॉन स्माल ने 75 रन अकेले ही बनाए. केंट ने दूसरी पारी में 102 रन बनाकर वापसी की. कुल मिलाकर हैंब्लेडॉन को जीतने के लिए 48 रन बनाने थे. हाथ में पांच विकेट थे. 

हैंब्लेडॉन की टीम के चार विकेट सिर्फ 34 रन पर गिर गए. जॉन स्मॉल बैटिंग कर रहे थे और सामने थे एडवर्ड लंपी स्टीवन. स्टीवन ने तेज गेंद की और जॉन स्मॉल चूक गए. लेकिन फिर जो हुआ वह और हैरान करने वाला था. गेंद दोनों स्टंप के बीच में से निकल गई (जी हां, तब तक दो स्टंप ही थे और उनपर एक गिल्ली रखी थी.). लोग देखते रह गए और जॉन स्मॉल आउट नहीं दिए गए. 

स्टंप के बीच से निकल गई थी गेंद

ऐसा पहली बार नहीं था कि गेंद विकेट के बीच से गई हो लेकिन ऐसे टाइट मैच में ऐसे होता देखकर सबको लंपी स्टीवन से सहानुभूति हो रही थी. जॉन स्माल को लंपी ने एक और बार बीट किया लेकिन गेंद फिर से स्टंप के बीच से निकल गई. स्मॉल की कीमत इतनी तगड़ी थी कि वह तीसरी बार भी इसी तरह आउट होने से बच गए और 14 रन बनाकर अपनी टीम को जीत दिला दी.

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अब लंपी स्टीवन यहां तो हार गए लेकिन वह चुप नहीं बैठे. उनका तर्क था कि उन्होंने बल्लेबाज को बीट किया है और तीन-तीन बार किया है फिर भी विकेट नहीं मिला. लंपी ने मांग की कि अगर गेंद विकेट के बीच से निकले तो बल्लेबाज आउट माना जाए. धीरे-धीरे इसपर बात आगे बढ़ी और नियम के मुताबिक, तीसरा स्टंप भी जोड़ दिया गया. कुछ लोगों ने विरोध किया कि इससे मैच जल्दी खत्म हो जाएगा. हालांकि, इसे सही करार देते हुए तीन स्टंप की परंपरा जारी रखी गई. कुछ दिनों तक यह वैकल्पिक था. मतलब कि कहीं दो तो कहीं तीन स्टंप से मैच खेले जा र हे थे. 

आखिरकार सबने तीसरे स्टंप को स्वीकार कर लिया और अब पूरी दुनिया में क्रिकेट के हर फॉर्मेट में सिर्फ़ तीन स्टंप के साथ ही मैच खेला जाता है.

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