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फ़िल्म रिव्यू: कड़वी हवा, जिसकी कड़वाहट को समय रहते महसूस किया जाना चाहिए
‘कड़वी हवा’, पर्दे पर बंजर का एक ऐसा मंज़र है, जिसके सूखे को आप अपनी आंखों से तर कर देना…
अग्नि वर्षा है तो है हां बर्फ़बारी है तो है
दुष्यंत चले गए. उनकी ग़ज़लें अमर हैं. जिन्होंने दुष्यंत कुमार को नहीं देखा, वे एहतराम साहब से मिल सकते हैं.…
कठुआ की वारदात धार्मिक कट्टरता का सबसे नीचतम रूप है
इस पूरी वारदात को मंदिर से हटाकर इसलिए भी नहीं देखा जा सकता क्योंकि इस घटना के पीछे धार्मिक द्वेष है
