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दिव्यमान उवाच- हमारी सोच में भयंकर खोट है
कभी-कभी ऐसा होता है हम तृतीय श्रेणी के सिनेमाघर में बैठे होते हैं और कुछ देर शालीनता से बैठने के…
नहीं आना मुझे इतने बुरे संसार में अम्मा
नज़र आता है डर ही डर, तेरे घर-बार में अम्मा नहीं आना मुझे इतने बुरे संसार में अम्मा. यहाँ तो…
दुष्यंत कुमारः वह शायर जिसके शेर क्रांति के शंखनाद से कम नहीं
1933 के वक्त के भारत की बात करें तो आजादी का संग्राम और देशभक्ति से ओत-प्रोत साहित्य अपने पूरे उफान…
