..तो इस तरह CBI जज की मौत वाली स्टोरी का एंगल चेंज किया Indian Express ने

कारवां की रिपोर्ट की कई बातें गलत साबित करते हुए इंडियन एक्सप्रेस ने एक भारी गलती कर दी है.
जस्टिस लोया मौत केस में जिस ECG रिपोर्ट को आधार बनाकर इंडियन एक्सप्रेस ने स्टोरी का एंगल चेंज किया है, उस ECG रिपोर्ट को इंडियन एक्सप्रेस ने ठीक से एक बार देखा भी नहीं। हालांकि बाद में उन्होंने स्टोरी अपडेट भी की.
ECG रिपोर्ट को ध्यान से देखिए…


उस पर तारीख लिखी है 30 नवम्बर..जबकि इसी रिपोर्ट में लिखा है कि उन्होंने 1 दिसम्बर सुबह 4 बजे सीने में दर्द की शिकायत की।
दांडे अस्पताल के डायरेक्टर पिनाक दांडे ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया है ,”उन्हें हमारे अस्पताल में सुबह 4.45 या 5 बजे के करीब लाया गया, हमारे अस्पताल में 24 घंटे चलने वाला ट्रामा सेंटर है” .
इस वक्त तारीख थी 1 दिसम्बर.
क्योंकि 30 नवम्बर को तो शादी ही थी।
रात के 12 बजते ही तारीख बदल जाती है।
तो ECG मशीन में 30 नवम्बर की तारीख कैसे है ?
क्या मशीन झूठ बोल रही है या अस्पताल झूठ बोल रहा है?
क्या ECG मशीन की इस रिपोर्ट को बाद में बैक डेट में प्रिंट करके फाइल में लगा दिया गया ? और बैक डेट करने के चक्कर में हड़बड़ी में तारीख 30 नवम्बर लिख उठी? जैसे हम सुबह 4 बजे तक जागते हुए पिछली तारीख को उस दिन की तारीख माने रहते हैं।
मगर मशीन तो ये गलती नहीं करती ?
अगर ये मशीन की गलती है तो क्या इस बारे में इंडियन एक्सप्रेस ने कुछ लिखा?
आखिर इस बात के पीछे भी तो कुछ बात होगी कि ECG मशीन नहीं चल रही थी ?
क्या कारवां की रिपोर्ट के बाद जस्टिस भूषण गवई और जस्टिस सुनील शुक्रे पर शक की सूई नहीं गई थी ?
अगर कारवां की रिपोर्ट सही है तो क्या दोनो जज और अस्पताल अपने आप को पाक-साफ साबित करने की कोशिश नहीं करेंगे?
मोहित शाह भी तो एक जज ही थे, जिसपर लोया को 100 करोड़ ऑफर करके केस मैनेज करने की बात लोया की बहन कह रही थी।
क्या ऐसा नहीं लगता कि कारवां की रिपोर्ट के बाद मचे हंगामे को ठंडा करने के लिए इंडियन एक्सप्रेस की विश्वसनीयता का यूज कर लिया गया है?
इंडियन एक्सप्रेस ने ही तो NDTV के 40 प्रतिशत शेयर अजय सिंह द्वारा खरीदने की खबर चलाई थी।
पनामा पेपर और पैराडाइज पेपर के लाखों पन्ने पढ़ने वाले इंडियन एक्सप्रेस ने एक पेज की ECG रिपोर्ट को ध्यान से क्यों नहीं देखा ?
जस्टिस लोया की मौत अब और रहस्मयी होती जा रही है. कल एक और रिपोर्ट आयेगी परसों कोई और लेकिन कोई इस पर सवाल क्यों नही करता कि जस्टिस लोया की मौत के महज एक महीने बाद नये जज ने आरोपी को कैसे बरी कर दिया?
क्या ये जल्दबाजी नहीं थी?
जस्टिस लोया की मौत के बाद दिल्ली मीडिया में जमी बर्फ को पिघलाने का जिम्मा इंडियन एक्सप्रेस नहीं ले लिया, लेकिन ऐसा लगता है ये बर्फ पिघलाने चले और पिघला पानी गन्दा करके लौट आये हैं।

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(यह स्टोरी दीपांकर पटेल के फेसबुक वॉल से ली गई है)