पॉलिटिकल लव 2: ख़बर या प्यार

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देखो न आज कुछ खत्म हो रहा है.
अरे क्या खत्म हो रहा है?
वही अपने मिलने की जगह बुक फेयर, अब मिलने का बहाना न रहेगा.

अच्छा छोड़ो तुम मुझे कही और घुमा लाना, लेकिन आर्मी वाली दाल मत खिला लाना, नही तो मैं भी आर्मी का जवान बन जाऊँगी.
तुम भी न, मैं दिखावा नही करता सच्चा प्यार करता हूँ.
देखो कही बोलने पर मुँह पर टेप ना लगा दो जैसे सरकार ने लगा दी,
नही यार हम सरकार नही प्यार हैं.

अच्छा याद है तुम्हे जब हमारी नजरो के पेंच लड़े थे, देखो वो मकर संक्रांति थी न वो भी कल चली गई.
दही चूड़ा खाये न?

हाँ लेकिन इस बार साहेब और सल्लू भाई पतंग नही उड़ा रहे क्या बात है?
लगता है दिल में दूरियां बढ़ गईं175375-salman-khan-modi-650, देखो कही हमारे साथ भी यही न हो,
अरे मतलब वाला प्यार नही है हमारा.

सोच रहा हूँ तुम्हारे नाम से कैलेंडर निकलवा दूँ.
अरे मैने कौन सा बड़ा काम किया है?
अरे आज कल तो साहेब भी कैलेंडर पर हैं उन्होंने कौन सा काम किया है.
हा हा हा.
अगर बनवाना तो ऐसा बनवाना जिसके वर्तमान में भी मै और भविष्य में भी मै ,किसी को हटा कर मत लगाना मुझे जैसे साहेब बापू को हटा दिए .

सपा की साइकिल का बवाल अभी तक ठीक नही हुआ समझ नही आ रहा साइकिल है या हमारी किटकेट की चॉक्लेट जिसका बवाल हम दोनों में अक्सर बना रहता है.
हा हा हा
तुम न बड़े गायब रहते हो आज कल, जैसे रविश अपने प्राइम टाइम से, बड़े आदमी हो गए हो न?
अरे नही मैं न्यूज़ वाला नही तुम्हारा वाला हूँ
अच्छा छोड़ो सब तुम मुझसे पूछे बिना काम मत करना नही तो बाद में दिक्कत होती है और बात सम्मान पर आ जाती है. ना यकीन हो RBI को देख लो बिना पूछे नोटबंदी की, अब सबको गरिमा और सम्मान नजर आ रहा है.
अरे मैं सरकार नही की कुछ छुपाने के लिए तुम्हे बिना बताए कुछ कर दूं.
लेकिन एक बात है लोगो पर दो ही असर अभी तक टिके हुए है एक ठंड का और दूसरा नोटबंदी का , जैसे हम पर घर के डर का और पढाई का.
हा हा हा
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चलते चलते जो खत्म हो रहा है आज उससे याद करते है.
क्या ?
वही अपने मिलने का अड्डा- ‘किताबो का मेला’
हमे इंतज़ार रहेगा अगले साल का तुम जल्दी आना , तुम न जाने कितनों को मिलवाते हो. हमे पता है तुम ज्ञान के साथ-साथ प्यार भी बढ़ाते हो

About Post Author

अभय

अभय पॉलिटिकल साइंस के स्टूडेंट रहे हैं। वर्तमान में पॉलिटिकल लव से उनकी पहचान बन रही है। राजनीतिक और सामाजिक विषयों को ह्यूमर और इश्क के साथ पेश करना अभय की कला है।
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