बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुनावों से ठीक पहले ऐलान किया है कि राज्य के लोगों को 125 यूनिट तक फ्री बिजली मिलेगी। बिहार सरकार की इस योजना का लाभ राज्य के करीब 1 करोड़ 67 लाख परिवारों को मिलेगा। नीतीश कुमार का कहना है कि बिहार की एक बड़ी आबादी, 125 यूनिट से कम बिजली खर्च करती है। उन्होंने यह भी ऐलान किया है कि आने वाले तीन वर्षों में इन सभी घरेलू उपभोक्ताओं से सहमति लेकर उनके घर की छतों पर या नजदीकी सार्वजनिक स्थल पर सोलर एनर्जी के जरिए बिजली पहुंचाई जाएगी। चुनावों से पहले ऐसे ऐलान देश की राजनीति में अब चौंकाते नहीं हैं। आम आदमी पार्टी (AAP) ने पहली बार ऐसी मुफ्त की योजनाओं को लेकर आई थी, दिल्ली में 300 यूनिट फ्री बिजली का वादा किया था, तब से लेकर अब तक, हर चुनावी राज्य में इस वादे को दोहराया जाता है।
अरविंद केजरीवाल का यह मॉडल दिल्ली और पंजाब में हिट साबित हुआ था, जिसके बाद राजनीतिक पार्टियां, एक से बढ़कर एक ‘मुफ्त की योजनाओं’ का एलान करने लगीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक चुनावी जनसभा में इन वादों को ‘मुफ्त की रेवड़ियां’ कहा। अलग बात है कि आने वाले कई चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने भी ऐसी योजनाओं का खूब जिक्र किया।
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मुफ्त की योजनाओं की सियासत, कई राज्यों में चर्चा में रहीं। निम्न और मध्यम वर्ग के वोटरों ने इन योजनाओं पर भरोसा किया। दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) के उभार में राजनीतिक विश्लेषक इन योजनाओं का भी हाथ मानते हैं लेकिन ऐसा कई बार हुआ, जब ये योजनाएं मतदाताओं को लुभा नहीं पाईं। मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने इस मॉडल को अपनाने की कोशिश की लेकिन ज्यादा लाभ नहीं हो पाया। यह मॉडल कर्नाटक में तो हिट रहा लेकिन कई राज्यों में फ्लॉप हुआ। एक बात यह पता चली कि मुफ्त की योजनाएं, अकेले जीत की गारंटी नहीं हैं।
दिल्ली का मॉडल, जीत की गारंटी बन गया था
दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने साल 2015 में 200 यूनिट तक फ्री बिजली देने का वादा किया था। 201 से लेकर 400 यूनिट पर छूट देने का वादा किया गया। चुनावी नतीजे हैरान करने वाले रहे। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 67 सीटों पर जीत हासिल की। कांग्रेस का खाता नहीं खुला और भारतीय जनता पार्टी के खाते में सिर्फ 3 सीटें आईं। वह भी तब, जब नरेंद्र मोदी प्रचंड बहुमत से देश में सत्ता में आए थे। ऐसा जनादेश दशकों बात मिला था।
बाकी राज्यों में आलोचना लेकिन दिल्ली में फिर छा गया फ्री मॉडल
जब अरविंद केजरीवाल ने फ्री बिजली की नीति का ऐलान किया तो उनकी खूब आलोचना हुई। विपक्षी पार्टियों ने अरविंद केजरीवाल की इस नीति की खूब आलोचना की। दिल्ली की फ्री बिजली, फ्री पानी, फ्री बस यात्रा का खूब विरोध किया। जनसभाओं से कहा गया कि अरविंद केजरीवाल लोकलुभावन वादे करके जनता को गुमराह कर रहे हैं और सरकार का खजाना खाली कर रहे हैं। अरविंद केजरीवाल ने फिर साल 2020 के विधानसभा चुनावों में फ्री बिजली देने का ऐलान किया।
2020 के विधानसभा में दिल्ली का फ्री मॉडल कितना हिट रहा
साल 2020 में दिल्ली में विधानसभा चुनाव हुए। आम आदमी पार्टी ने 62 सीटें हासिल कीं। मुफ्त बिजली का असर वोटों में बदलता नजर आया। बिहार के ज्यादातर सर्वे में कहा गया कि मुफ्त बिजली से उन्हें राहत मिली है। शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दे भी छाए रहे। कांग्रेस ने 300 यूनिट तक फ्री बिजली देने का वादा किया था लेकिन उन पर AAP का वादा भारी पड़ा और दूसरी बार फी प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई। बीजेपी ने 8 सीटें जीतीं तो कांग्रेस हाशिए पर रही।
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फ्री बिजली का पंजाब मॉडल
अरविंद केजरीवाल ने की मुफ्त की योजनाओं का असर पंजाब में दिखा। साल 2022 में पंजाब में विधानसभा चुनाव हुए। किसान आंदोलन की वजह से बीजेपी ने पंजाब में अपना रहा-सहा जनाधार भी खो दिया। कैप्टन अमरिंदर ने कांग्रेस से किनारा कर लिया था, जिसके बाद कांग्रेस का जनाधार भी कम हुआ, कैप्टन भी अपनी सीट नहीं बचा पाए। वजह थी कि मुफ्त की योजनाओं वाली कांग्रेस वहां छा गई थी। AAP सरकार चुनावी वादा करके आई थी कि अगर सरकार बनी तो 300 यूनिट तक फ्री बिजली दी जाएगी। पंजाब में 117 विधानसभा सीटों पर वोट पड़े, 92 पर AAP ने जीत दर्ज की। पंजाब में भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों ने भी AAP की मदद की। चुनाव AAP के खाते में गया, भगवंत मान मुख्यमंत्री बने।
कहां-कहां फ्लॉप हुआ ‘फ्री बिजली’ का फंडा
राजस्थान: साल 2023 में विधानसभा चुनाव हुए। कांग्रेस की तत्कालीन अशोक गहलोत सरकार ने अपने चुनावी घोषणापत्र में कहा कि सरकार 100 यूनिट तक मुफ्त बिजली देगी। 200 यूनिट तक बिजली खर्च करने पर सब्सिडी दी जाएगी। कांग्रेस के इस वादे पर जनता ने भरोसा नहीं किया। राज्य की 200 विधानसभा सीटों में कांग्रेस ने 69 सीटों पर जीत हासिल की लेकिन बहुमत से दूर रही। बीजेपी 115 सीटों के साथ बहुमत का आंकड़ा छू लिया। कांग्रेस के मुफ्त के वादे पर जनता ने यकीन नहीं किया। अलग बात है कि अब बीजेपी ने 150 यूनिट तक गरीब परिवारों के लिए मुफ्त की बिजली देने का ऐलान किया है।
नतीजा क्या हुआ: अशोक गहलोत के मुफ्त के वादे की जगह जनता ने बीजेपी पर भरोसा जताया। मुफ्त की बिजली जीत की गारंटी नहीं बन सकी।
कर्नाटक: साल 2023 में विधानसभा चुनाव हुए। कांग्रेस ने 200 यूनिट तक फ्री बिजली देने का वादा किया। सत्ता में आते ही कांग्रेस ने इसे लागू किया। कांग्रेस ने राज्य की 225 विधानसभा सीटों में से 135 सीटों पर जीत हासिल की। कांग्रेस की गृह ज्योति, अन्न भाग्य, सखी कार्यक्रम, युवा निधि और गृह लक्ष्मी जैसी योजनाओं पर लोगों ने भरोसा किया।
नतीजा क्या हुआ: बीजेपी के हाथ सत्ता निकल गई। मुफ्त का चुनावी एजेंडा हिट हो गया। अलग बात है कि बीजेपी की इस हार के पीछे पार्टी के भीतरी कलह को भी सियासी जानकारों ने जिम्मेदार ठहराया।
झारखंड: झारखंड में साल 2024 में विधानसभा चुनाव हुए। झारखंड मुक्ति मोर्चा सरकार ने वादा किया कि राज्य के लोगों को 200 यूनिट तक मिलने वाली मुफ्त बिजली जारी रहेगी। भारतीय जनता पार्टी ने और बढ़कर 300 यूनिट फ्री बिजली देने का वादा कर दिया। झारखंड में 81 विधानसभा सीटें हैं। 34 विधानसभा सीटों पर झारखंड मुक्ति मोर्चा को हासिल हुईं, कांग्रेस को 16 सीटें मिलीं, 21 सीटों पर बीजेपी जीती। राष्ट्रीय जनता दल सिर्फ 4 सीटें जीत पाईं।
नतीजा क्या हुआ: बीजेपी का वादा झारखंड में एक बार फिर फ्लॉप हुआ। साल 2019 की तरह यहां की सत्ता से एक बार फिर बीजेपी दूर ही रही।
मध्य प्रदेश: राज्य की 230 विधानसभा सीटों पर साल 2023 में चुनाव हुए। कांग्रेस ने वादा किया था कि लोगों को 100 यूनिट तक बिजली दी जाएगी, 200 यूनिट तक सस्ती दरों पर बिजली दी जाएगी। इसके उलट बीजेपी ने वादा किया था कि 100 रुपये में 100 यूनिट बिजली दी जाएगी। बीजेपी के वादे पर लोगों ने भरोसा जताया।
नतीजा क्या हुआ: बीजेपी ने 163 सीटों पर जीत हासिल की। कांग्रेस महज 66 सीटों पर सिमट गई।