कुछ चीजें केवल टाइमपास करने के लिए की जाती हैं. संसद में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को भी वही समझिए. हंगामा काटना है तो काटना है. शुक्रवार को संसद में विपक्ष केंद्र के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होगी. संसद में फिलहाल टोटल सीटों की संख्या है 535. होती 545 है. संसद में बहुमत साबित करने के लिए केवल 268 सदस्यों की जरूरत होती है. बीजेपी के पास स्पीकर समेत 274 सांसद हैं.
अगर सहयोगी दल मिला लें तो कुल 314. अगर सारे सहयोगी दल कन्नी भी काट लें तो केंद्र सरकार का कुछ बिगड़ने वाला नहीं है. लेकिन लोकतंत्र में विरोध होना चाहिए. मानसून सत्र का एक दिन तो राजनीति के नाम पर जाया होना बनता है. क्योंकि वैसे भी संसद में कोई काम की बात करने तो जाता नहीं है.
विपक्षी दलों का यह संवैधानिक अधिकार है कि वे सत्ता के बहुमत में होने पर सवाल उठाएं. इसके लिए कोई वजह भी बताने की जरूरत नहीं होती है. लोकसभा स्पीकर अगर विपक्षी पार्टी का प्रस्ताव स्वीकार कर ले तो सरकार की मजबूरी हो जाती है कि वह सदन में बहुमत साबित करे.
अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए विपक्षी दल को लोकसभा अध्यक्ष या स्पीकर को इसकी लिखित सूचना देनी होती है. इसके बाद स्पीकर उस दल के किसी सांसद से इसे पेश करने के लिए कहता है.
टीएमसी समेत कई विपक्षी दलों ने अपने सांसदों को व्हिप जारी किया है. व्हिप जारी करने का मतलब होता है कि अगर कोई सांसद व्हिप जारी करने के बाद भी संसद में उपस्थित नहीं होता है तो उसे पार्टी से निष्कासित भी किया जा सकता है.
कहने का बस इतना सा मतलब है कि विपक्ष एक दिन संसद में टाइमपास करना है. टाइमपास इसलिए क्योंकि टाइमपास करने के सौ बहाने हैं. टोटल विपक्षी सांसदों की संख्या 240 है. बड़े कूदने वाली पार्टियों में कांग्रेस के पास 63, तृणमूल कांग्रेस 34, तेलुगू देशम पार्टी 16 सांसद है.
कूदने वाले यही हैं, चिल्लाने वाले और भी हैं. शुक्रवार का दिन पूरा हंगामा कटेगा. मॉब लिंचिंग, मंहगाई, विशेष राज्य का दर्जा, कश्मीर में अशांति, मीडिया पर हमला, विपक्ष की पिटाई, स्वामी अग्निवेश की कुटाई, हिंदू-मुसलमान सब पर भड़ास निकलना तय है.
हालांकि होना घंटा कुछ नहीं है. शुक्रवार को पहले अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होगी, फिर इसके बाद मतदान होगा. बीजेपी के भी सभी सांसद लोकसभा में मौजूद रहेंगे, विपक्षी पार्टियों के भी.
अगर आपका मन संबित पात्रा, राकेश सिन्हा, अभिषेक सिंघ्वी इत्यादि एंकरों से ऊब गया हो तो लोकसभा टीवी चला लीजिएगा कल. वहां भी मस्त हंगामा देखने को मिल सकता है.
हालांकि इतिहास में एक बार अविश्वास प्रस्ताव पर केंद्र में सरकार धराशायी हो चुकी है. मोरार जी देसाई की जनता पार्टी के साथ पहली बार यह कांड हुआ था. वह केंद्र में बहुमत ही साबित नहीं कर पाए थे. फिर तो लिस्ट लंबी है. वीपी सिंह, एचडी देवेगौडा, आईके गुजराल और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार विश्वास मत पर खो चुकी है. अब तक 26 बार केंद्र में सरकारों ने अविश्वास प्रस्ताव का सामना किया है.
कांग्रेस इस मामले में सबसे अनलकी रहा है. इंदिरा गांधी के जमाने में सबसे ज्यादा अविश्वास प्रस्ताव 15 बार आए. मोदी जी इंदिरा से कुछ-कुछ मिलते हुए लगते हैं. लोग कहते हैं कि डिक्टेटर हैं केंद्र के. बात तो सही है. इसमें कोई सुबहा विपक्ष को नजर नहीं आता.
लेकिन इन सब बातों को छोड़िए. बड़े आराम से आप कल टीवी देखिए. मस्त हंगामा चलेगा संसद में. क्योंकि कल का दिन विपक्षी पार्टियों के टाइमपास का दिन है.