लंबे समय तक भारतीय क्रिकेट की एक भरोसेमंद बल्लेबाज़ के तौर पर सेवा करने वाले राहुल द्रविड़ को जून, 2015 में एक बेहद महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी सौंपी गई। बीसीसीआई ने अंडर 19 और भारत ए के कोच पद पर उनकी नियुक्ति की।
एक कोच के लिए धैर्यशील होना, दबाव से पार पाने में सक्षम होना और साथ ही हर परिस्थिति में कूल रहना ज़रूरी होता है और द्रविड़ में ये गुण एक पेशेवर खिलाड़ी के तौर पर ही रहे हैं, बाक़ी उनमें जाबड़ क्रिकेटीय प्रतिभा थी ही। सो वह कोच पद के लिए सैद्धान्तिक तौर पर तो पूरी तरह से अनुकूल थे। अब उनकी चुनौती एक सफ़ल कोच के रूप में ख़ुद को साबित करने की थी।
हालांकि द्रविड़ इससे पहले आईपीएल की एक फ्रेंचाइजी टीम राजस्थान रॉयल्स के लिए सेवा दे चुके थे, जहां उनके कुशल निर्देशन में संजू सैमसन, दीपक हुड्डा, करूण नायर जैसे शानदार खिलाड़ियों की एक खेप निकली थी। द्रविड़ के कोच के रूप में भारत ए ने अपना पहला दौरा ऑस्ट्रेलिया में किया जहां उसे हार का सामना करना पड़ा।
इसके बाद के दौरे दक्षिण अफ्रीका और बांग्लादेश दौरे में भारतीय टीम ने शानदार प्रदर्शन किया। इधर अंडर 19 टीम भी द्रविड़ के निर्देशन में स्वयं को संश्लेषित कर रही थी। जूनियर लड़कों ने बांग्लादेश-अफगानिस्तान के साथ खेली गई त्रिकोणीय शृंखला में दोनों टीमों को बुरी तरह से हराया था, अलबत्ता बांग्लादेश के विरुद्ध एक मैच में तो भारतीय खिलाड़ियो ने 158 रनों के बड़े अंतर से शानदार जीत अर्जित की थी। बाद के इंग्लैंड और श्रीलंका दौरे में भी जूनियर खिलाड़ियों ने शानदार विजय हासिल की थी।
इसी दौरान बांग्लादेश में जनवरी-फरवरी 2016 में वर्ल्डकप होना था, स्वयं एक भी विश्वकप विजेता टीम का हिस्सा न बनने वाले द्रविड़ के लिए एक कोच के तौर पर इसे जीतने की बहुत अधिक चाह थी। द्रविड़ इसकी तैयारी में कोई कोर-कसर नही छोड़ना चाहते थे। इसी बाबत उन्होंने बीसीसीआई से सम्पर्क साधा और बोला कि हमारी जूनियर टीम को वर्ल्डकप जाने से पहले अंतरराष्ट्रीय स्तर के और उस जैसे एनवायरमेंट वाले मैच में खेलने की जरूरत है।
बोर्ड ने उनकी बात का मान रखते हुए बोर्ड एकादश के साथ अंडर 19 टीम का मैच रखा। नतीजा जो आया वो एकदम हैरतअंगेज था, द्रविड़ के लड़कों ने ईश्वर पांडे, जयदेव उनादकट और अभिनव मुकुंद जैसे स्टार खिलाड़ियों से सजी टीम को 23 रनों से हरा दिया।
बांग्लादेश में भारतीय अंडर 19 टीम अपने पहले मैच से ही विजेताओं जैसा खेल दिखा रही थी। भारत का सेमीफाइनल श्रीलंका के साथ पड़ा था, सभी खिलाड़ी एकदम तनाव में थे। द्रविड़ ने उनके तनाव को दूर करते हुए कहा कि जाओ, सकारात्मक आत्मविश्वास के साथ अपना स्वाभाविक खेल खेलों। नतीज़तन भारतीय टीम वर्ल्डकप के फाइनल में पहुंच गयी।
खिलाड़ी पहले से अधिक तनाव में थी क्योंकि ये फाइनल मैच था। द्रविड़ ने खिलाड़ियों के तनाव को दूर करने के लिए एक नायाब तरकीब निकाली, उन्होंने खिलाड़ियों के मोंटाज बनवाये, ऋषभ पंत ने जब अपना छक्का मारते हुए लंबा कटआउट देखा तो उनका फाइनल मैच का प्रेशर काफ़ी हद तक कम हो गया। हालांकि न्यूनतम स्कोर का ये मैच बचाने में भारतीय टीम असफ़ल रही थी, बावजूद इसके इसने भारतीय टीम को ऋषभ पंत, ईशान किशन, सरफ़राज़ खान जैसे शानदार खिलाड़ी दिए। हारने के बावजूद राहुल द्रविड़ ने अपने लड़कों का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि आप हमारे चैम्पियंस हो।
द्रविड़ ने खूब क्रिकेट खेली है, सो उन्हें पता है कि एक बल्लेबाज़ कब-कब परेशान होता है या दबाव में आता है। मसलन टीम के पंद्रह सदस्यीय दल में शामिल खिलाड़ी अगर बिना एक भी मैच खेलें अपना दौरा समाप्त करता है तो वो गंभीर दबाव में आ जाता है, जिसका असर उसके खेल पर भी पड़ता है। एक कोच के तौर पर द्रविड़ रोटेशन प्रणाली अपनाकर अपनी टीम के हर एक खिलाड़ी को मौका देते थे, जिससे खिलाड़ियो के मन में न खेल पाने का मानसिक तनाव नही रहता था। वर्ष 2016 के बांग्लादेश विश्वकप दौरे पर गयी अंडर 19 टीम के कप्तान ईशान किशन और उनके साथी खिलाड़ी ऋषभ पंत और सरफ़राज़ खान कहते है कि द्रविड़ की एक कोच के तौर पर सबसे बड़ी उपलब्धि ये है कि वह खिलाड़ियों को खेल के मैदान पर उसके बाहर महसूस होने वाले दबाव को झेलने लायक बना देते है। मसलन फाइनल मैच में द्रविड़ ने सभी खिलाड़ियों को बॉल हार्ड, फील्ड हार्ड एंड गिव योर हंड्रेड परसेंट कहकर गुड लक विश किया, जो खिलाड़ियों को एक खिलाड़ी के तौर पर काफ़ी मजबूत बनाते है।
द्रविड़ की कोचिंग टीम के खिलाड़ी सरफ़राज़ खान ने आईपीएल में आरसीबी की ओर से खेलते हुए अपने बल्ले से धूम मचा दी, वहीं एक अन्य खिलाड़ी आवेश खान ने 0.66 के इकोनॉमी रेट से शानदार गेंदबाज़ी की।
भारत ए में भी द्रविड़ ने केदार जाधव,करुण नायर, श्रेयस अय्यर, यजुवेंद्र चहल, हार्दिक पांड्या और जयंत यादव जैसे शानदार खिलाड़ियो की फ़ौज तैयार की। हार्दिक पांड्या तो द्रविड़ को अपने लिए बेहद महत्वपूर्ण मानते है, वह कहते है कि एक खिलाड़ी को खेलने के लिए मानसिक तौर पर ख़ुद को कैसे तैयार करना चाहिए, यह उन्होंने द्रविड़ से ही सीखा।
इन सबसे इतर द्रविड़ एक शानदार, प्रतिबद्ध, क्रिकेट को ही सब कुछ मानने वाले इंसान है। जिन्होंने राष्ट्रीय टीम की सेवा करने के लिए प्रोफेशनल क्रिकेट मने आइपीएल की फ्रेंचाइजी टीम दिल्ली डेयरडेविल्स को कोच करने से मना कर दिया ताकि एक कोच के तौर पर हितों का टकराव न हो सकें।