गुपकार घोषणा

आर्टिकल 370 पर शोर करके बेवकूफ बना रहे हैं कश्मीरी नेता?

प्रैक्टिकली सोचें तो आर्टिकल 370 होने या ना होने से आम जनता को ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है. अगर महबूबा मुफ्ती या फारूक अब्दुल्ला इसे फिर से लागू
कराने की बात कहें तो यह भी लगभग असंभव है.