आज दिल्ली मेट्रो की एक और लाइन शुरू हो रही है। पीएम मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ मेट्रो “एक धक्का और दो” करने नोएडा पहुँच रहे हैं। अपने मफलरमैन भाई इदर पड़ोसी ‘राज्य’ के सीएम कहे जाते हैं। नोएडा में इस लाइन के कुछ ही स्टेशन पड़ते हैं लेकिन इसका उद्घाटन दिल्ली की बजाय नोएडा से किया जा रहा है और योगी उस तिलिस्म को तोड़ने जा रहे हैं, जिसके हिसाब से यह माना जाता है कि यूपी के सीएम नोएडा जाते हैं तो अशुभ होता है, दिल्ली चाहें तो 1000 बार चले जाएं।
बता दें ये नाराज फूफा की तरह किसी और को मेट्रो उदघाटन में ना बुलाने वाली परम्परा अखिलेश यादव जी ने शुरू कर डाली थी। चुनाव का मौसम था और अखिलेश बाबू इतना जल्दी में थे कि मेट्रो का उद्घाटन झम्म से कर दिए और केंद्र सरकार के किसी मंत्री या पीएम को बुलाना जरूरी नहीं समझा। खैर, इस बेइज्जती का बदला बाद में योगी बाबा ने ले डाला और पूर्व सीएम की हैसियत रखने वाले अखिलेश को भी नहीं बुलाया।
याददाश्त के मुताबिक़, दिल्ली में केजरीवाल और मोदी सरकार का कॉम्बो बनने के बाद जितने मेट्रो उद्घाटन हुए उसमें उपराष्ट्रपति और तत्कालीन शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने केजरीवाल के साथ उद्घाटन किया। इसके अलावा हैदराबाद और बेंगलुरु में पीएम भी मेट्रो दौड़ाने गए जबकि ये दोनों शहर जिस राज्य में आते हैं वहां बीजेपी की सरकार नहीं है। जाहिर है पीएम को वहां न्योता देकर बुलाया ही गया होगा।।
इन तमाम बातों से ये तो जरूर लगता है कि जानबूझकर केजरीवाल को साइड किया गया है। केजरीवाल-मोदी के बीच “समवन प्लीज ब्रेक द आइस” वाला समीकरण तो हमेशा रहेगा। मोदी भी पूरी कोशिश करते हैं केजरीवाल से आमना-सामना ना ही हो तो ज्यादा अच्छा है। हो सकता है मोदी आज भी केजरीवाल से असुरक्षित महसूस करते हों। हो सकता है उन्हें आज भी राहुल से ज्यादा उम्मीदें केजरीवाल से ही हों।
खैर, दिल्लीवालों को ख़ुशी मनानी चाहिए कि उन्हें थोड़ी और सुविधा मिल जाएगी। नेता लोग आपस में क्रेडिट का लफड़ा तो हमेशा पाले ही रहते हैं। लेकिन एक बात यह भी कहना जरूरी है कि अटल जी के जन्मदिन पर जो किया जा रहा है जो अटल जी तो कभी न करते।