मिलती-जुलती खबरें...
मिथक और इतिहास की आंख से वर्तमान को देखते थे कुंवर नारायण
कुंवर उस दौर में कलम उठाते हैं जब वैश्विक इतिहास द्वितीय विश्वयुद्ध, भारतीय स्वाधीनता संग्राम और गांधी युग जैसे उल्लेखनीय घटनाक्रमों से साक्षात्कार कर रहा था।
नोटबंदी का काम कुछ बंद करना नहीं बल्कि काले को सफेद करना था?
मैं नोटबंदी हूं, मेरा जन्म 8 नवंबर 2016 को हुआ था। मेरे पैदा होने की बात बस घर के कुछ…
इस तरह सिर्फ सियासत बचेगी और इंसाफ मर चुका होगा
पाकिस्तान के कितने हाथ हैं जी? हर जगह पहुंच जाते हैं, कोई सरकार हार जाए या कोई घटना हो जाए…
