एक फूल है सूरजमुखी. इसका नाम ही बताता है कि इसके फूल का मुंह सूरज की ओर होता है. दरअसल, ये आधा सच है. पूरा सच यह है कि जो युवा फूल होते हैं, यानी जब नए फूल निकलते हैं तो कुछ दिनों तक वे सूरज का पीछा करते हैं, मतलब दिन में सूरज के साथ-साथ घूमते हैं और रात को फिर सुबह वाली पोजिशन में हो जाते हैं. एक उम्र के बाद ये फूल पूर्व दिशा में ही रुक जाते हैं.
आइए इस पूरे खेल को विस्तार से समझते हैं.
सूरजमुखी के पौधे में एक हार्मोन होता है ऑक्सिन. यह हार्मोन सूरज की किरणों से भागता है. यह हार्मोन पौधे के तने में होता है और नए वाले फूल के पीछे छिपता है. ये हार्मोन छाया में ही बढ़ता है और जब नया फूल निकलता है, तो वह फूल तने पर छाया बनाता है. यही छाया बनाए रखने के लिए फूल सूरज की ओर घूमता रहता है. घूमने की इस प्रक्रिया को फोटोट्रॉपिज्म और हीलियोट्रॉपिज्म कहते हैं.
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सुबह जो फूल पूरब से पश्चिम तक घूमता है, रात में वही पश्चिम से पूरब घूम जाता है और सुबह होने का इंतजार करता है. सुबह सूरज उगने के साथ ही घूमने की प्रक्रिया फिर से शुरू हो जाती है. जब फूल बड़े हो जाते हैं और फूलों में पड़ने वाले बीज परिपक्व हो जाते हैं तो घूमने की प्रक्रिया बंद हो जाती है. फिर से फूल स्थायी तौर पर पूरब की दिशा में ही रहते हैं.
घूमने से रोक दें तो क्या होगा?
इससे इनको कोई नुकसान नहीं होता बल्कि इससे फायदा ही होता है. इससे फूलों के परागण और परागण करने वाले जीवों के बीच की प्रक्रिया में आसानी होती है. इस प्रकार फूलों का विकास तेजी से होता है.
अगर किसी फूल को बांध दिया जाए और उसे घूमने से रोक दिया जाए, तो देखा जाता है कि फूलों का विकास रुक जाता है और वे सूख भी सकते हैं. इसीलिए कहा जाता है कि प्रकृति के साथ छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए.
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