पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में स्थित आर जी (राधा गोविंद) कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल का नाम इन दिनों पूरे देश की जुबान पर है. इसकी वजह बलात्कार और हत्या का एक केस है जिसने आम जनमानस को हिलाकर रख दिया है. आर जी कर अस्पताल में पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रही 31 वर्षीय ट्रेनी डॉक्टर की क्षत-विक्षत लाश 9 अगस्त को अस्पताल के सेमिनार हॉल में मिली. तब से अब तक यह मामला देश की सर्वोच्च अदालत तक पहुंच चुका है. इस मुद्दे पर एक तरफ जहां देश के आम लोगों का गुस्सा सामने आ रहा है तो अलग-अलग पार्टियों के नेता जमकर राजनीति भी कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने भी पुलिस और राज्य सरकार की भूमिका को लेकर सख्त टिप्पणियां की हैं. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से कहा है कि वह इस मामले की स्टेटस रिपोर्ट 22 अगस्त तक जमा करे. वहीं, अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित डॉक्टर देशभर में हड़ताल कर रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए.
पुलिस ने घटना के अगले ही दिन संजय रॉय नाम के शख्स को गिरफ्तार किया, जिस पर पहले भी महिला विरोधी गतिविधियों के आरोप लगते रहे हैं. कहा जा रहा है कि वह अस्पताल में मरीजों के काम करने वाले के बदले पैसे लेता था.पीड़िता की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी सामने आ चुकी है. सूत्रों के मुताबिक, इस रिपोर्ट में पीड़िता के शरीर पर गहरी चोटों के निशान हैं जो रेप की पुष्टि करते हैं. वहीं, पीड़िता के परिजन लगातार दावा कर रहे हैं कि यह मामला रेप का नहीं बल्कि गैंगरेप का है. हालांकि, अभी तक गैंगरेप की पुष्टि नहीं की गई है.
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें.
सीबीआई कर रही है जांच
इस केस में सबसे ज्यादा हंगामा अस्पताल की भूमिका को लेकर हुआ. आरोप हैं कि मेडिकल कॉलेज की ओर से पीड़िता के परिजन को बताया गया कि उनकी बेटी ने आत्महत्या कर ली है. 12 अगस्त को आर जी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. मामला बढ़ता देखकर कलकत्ता हाई कोर्ट ने 14 अगस्त को इस केस की जांच सीबीआई को सौंप दी. पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष भी सीबाई की हिरासत में हैं और उनसे पूछताछ कर रही है.
हाई कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई अपनी जांच शुरू कर पाती, उससे पहले ही 14-15 अगस्त की दरम्यानी रात एक बड़ी भीड़ आर जी मेडिकल कॉलेज में घुसी और जमकर तोड़फोड़ की. इसको लेकर पुलिस पर भी सवाल उठे कि आखिर इतने संवेदनशील मुद्दे पर भी वह कुछ कर क्यों नहीं पाई? सोशल मीडिया पर कई ऐसे वीडियो भी आए जिनमें मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर अपनी सुरक्षा की गुहार लगाते रहे. पीड़िता के परिजन न्याय की मांग करते हुए ममता बनर्जी की अगुवाई वाली राज्य सरकार को भी कठघरे में खड़ा कर रहे हैं. साइकोलॉजिकल टेस्ट के बाद अब आरोपी के पॉलीग्राफी टेस्ट की तैयारी की जा रही है ताकि सच सामने लाया जा सके.
यह भी पढ़ें- शाम ढलने के बाद महिलाओं की गिरफ्तारी क्यों नहीं होती?
आर जी कर पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
इस पूरे मामले में कॉलेज के प्रिंसिपल रहे संदीप घोष के बयानों में लगातार बदलाव होने की वजह से उनसे भी सीबीआई की टीम पूछताछ कर रही है. राज्य का घटना के चलते ममता बनर्जी की सरकार चौतरफा निशाने पर है. वहीं, ममता बनर्जी सीबीआई से अपील कर रही हैं कि वह जल्द से जल्द केस के आरोपी को सजा दिलाए.
इस सबके बीच डॉक्टर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं जिसके चलते देशभर के कई अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं तक प्रभावित हो रही हैं. डॉक्टरों के संगठन फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स असोसिएशन (FORDA) ने फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले पर खुशी जताई है जिसमें चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने आधेश दिए हैं कि एक नेशल टास्क फोर्स बनाई जाए ताकि हेल्थकेयर वर्कर्स को सुरक्षा दी जा सके. हालांकि, अभी तक डॉक्टरों की हड़ताल खत्म नहीं हुई है सुरक्षा को लेकर उनकी चिंताएं और सवाल वैसे के वैसे बने हुए हैं.