महाराष्ट्र सरकार के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने भी प्लास्टिक बैन का ऐलान कर दिया है। इस तरह का काम करने वाला उत्तर प्रदेश 19वां राज्य बन जाएगा। हालांकि, इससे पहले भी दो बार यूपी में इस तरह का फैसला लागू हो चुका है लेकिन यह लंबे समय तक टिका नहीं और राज्य प्लास्टिक फ्री होने का राज्य और देश का सपना टूटकर रह गया।
उत्तर प्रदेश से पहले देश के 18 राज्यों में प्लास्टिक पर बैन लागू है। हालांकि, इसका असर अभी तक प्रभावी रूप से देखने को नहीं मिल रहा है। हर बार प्लास्टिक कारोबारियों, व्यापारियों और जनता के दबाव के चलते प्लास्टिक बैन या तो हटा लिया जाता है या फिर ठंडे बस्ते में डालकर ढील दे दी जाती है और सबकुछ वैसे ही चलने लगता है, जैसा कि पहले था। प्रदूषण को खत्म करने की प्रतिबद्धता पन्नियों में बंधकर दम तोड़ने लगती है और हम फिर से ‘आराम’ की स्थिति में आ जाते हैं।
समस्या यह है कि प्लास्टिक हमारे कम्फर्ट का हिस्सा बन गया है। जिन चीजों को हम एक झोले में ला सकते हैं, उनके लिए भी हम 4-5 पॉलिथिन बैग ले लेते हैं और फिर उन्हीं पन्नियों में घर का कचड़ा भरते हैं और फेक देते हैं। अब ना तो पन्नी सड़ेगी और ना ही कूड़ा। नगर निगमों या अन्य संस्थाओं द्वारा कूड़ा इकट्ठा करके डंपिंग ग्राउंड या किसी खाली जगह पर फेक दिया जाता है। यह कूड़ा पन्नियों के चलते सड़ नहीं पाता है।
कुछ यूं करें उपाय
अगर हम अपने स्तर पर इस मुहिम का हिस्सा बनें और सिर्फ अपना ही काम करें तो हम काफी हद तक सुधार कर सकते हैं। यहां हम कुछ ऐसे उपाय बता रहे हैं, जिससे आप प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करते हुए सरकार, नगर पालिका/निगम और अपना काम आसान कर सकते हैं।
1. झोले का इस्तेमाल
पुराने कपड़े से, जूट से या फिर प्लास्टिक से ही सही बने लेकिन एक झोले से आप महीने में कम से कम 50-60 पन्नियों के इस्तेमाल से बच सकते हैं। मैंने व्यक्तिगत तौर पर यह चीज करके देखी है और महीने में कम से कम 50 पन्नियों के इस्तेमाल से बचा भी हूं।
2. कूड़े को पॉलिथिन में ना फेंके
हर रोज हमलोग या तो खुद कूड़ा फेंकते हैं या फिर इकट्ठा करके रखते हैं, जिसे नगर निगम की गाड़ियां ले जाती हैं। अगर इसमें आप कचरा पन्नी में भरकर भेजते हैं तो वह कूड़ा कभी सड़ता नहीं है। इसलिए कूड़ा एक डिब्बे या डस्टबिन में रखें, जिसे आप कचरे की गाड़ी में डाल दें और वह सीधे-सीधे सड़ जाने के लिए तैयार रहे।
3. प्लास्टिक को कचरे से खुद अलग करें
दूध, मसाले, बिस्किट, चिप्स और अन्य वे चीजें जो प्लास्टिक पैक में ही आती हैं, के रैपर या प्लास्टिक बैग को कचरे से अलग रखें। अगर आप खुद इसे रीसाइकल नहीं कर सकते हैं तो जब भी कबाड़ बेचें तो इसे कबाड़ी को दे दें। ज्यादा पैसे तो नहीं मिलेंगे लेकिन आप इसे रीसाइकलर तक पहुंचा देंगे।
इन छोटी-छोटी आदतों से आप वह चीजें कर सकते हैं, जिसके लिए आप सरकार के भरोसे बैठे हैं। सरकारें प्लास्टिक ना तो बना रही हैं ना ही वे इसे खत्म कर सकती हैं। इसका इस्तेमाल हम और आप करते हैं इसलिए खत्म भी हमें ही करना होगा। आइए और कोशिश करिए, प्लास्टिक खत्म जरूर होगा।