बुर्क़े हटा के आ गयीं, घूंघट उठा के आ गयीं, ये औरतें कमाल..
डर से निजात पा चुकीं, जीने को मरने आ चुकीं, धरने पे मुल्क ला चुकीं, ज़िद इनकी है बहाल, सलाम..
जहां बातें होंगी हिंदी इस्टाइल में
डर से निजात पा चुकीं, जीने को मरने आ चुकीं, धरने पे मुल्क ला चुकीं, ज़िद इनकी है बहाल, सलाम..