घुटता है दम-दम, घुटता है दम-दम, घुटता है दम-दम दिल्ली में
हमने विकास के लिए जिंदा शहरों को कब्रिस्तान में बदलने में की पूरी तैयारी कर ली है.
जहां बातें होंगी हिंदी इस्टाइल में
हमने विकास के लिए जिंदा शहरों को कब्रिस्तान में बदलने में की पूरी तैयारी कर ली है.
जब संस्थाओं का मानवीयकरण होता है तो उसकी प्रशंसा और अनुशंसा दोनों इंसानों की तरह होने लगती है. फिर जिन प्रक्रियाओं से इंसान गुजरता है...
ये तस्वीर दिल्ली के दिवाली के बाद की है। जैसे हर त्यौहार पूरे देश में अलग अलग तरीके से मनाया जाता है, वैसे ही दिवाली...