भारतीय सिनेमा का अपना एक दौर रहा है. अपने उम्र की ढलान पर एक बार राजेश खन्ना किसी अवार्ड शो में अमिताभ बच्चन से अवार्ड लेने के बाद अपनी ही फिल्म का एक डायलाग बोलते हैं कि ‘ये भी एक दौर है, वो भी एक दौर था’. उस डायलाग में राजेश खन्ना सिनेमाई दौर के बारे में बहुत कुछ कह जाते हैं.
ऐसा ही एक दौर गोविंदा का भी था. पुराने फिल्म समीक्षक लिखते हैं कि गांव और कस्बों से लेकर शहरों के लोग भी गोविंदा की फिल्मों के आने का इन्तजार बड़ी बेसब्री से किया करते थे. और जब सिल्वर स्क्रीन पर गोविंदा की फिल्में आती थीं तो दर्शक सिनेमा हाल में ही नाचने पर मजबूर हो जाते थे.
दरअसल, गोविंदा ने फिल्मों में अभिनेताओं के डांस करने के मायने ही बदल दिए थे. गोविंदा आज भले ही 53 साल के हो गए हैं. लेकिन उनके डांस स्टाइल को लोग आज भी कॉपी करते हैं. उन्होंने करीब एक दशक तक हिंदी सिनेमा की दुनिया में राज किया. कहा जाता है एक बार उन्होंने 36 घंटे में 14 फिल्में साइन की थीं. और एक तथ्य यह भी है कि साल 1986 में उनकी पॉपुलैरिटी इतनी ज्यादा थी कि एक ही साल में उन्होंने 40 फिल्में साइन की थीं.
साल 1986 में उनकी पॉपुलैरिटी इतनी ज्यादा थी कि एक ही साल में उन्होंने 40 फिल्में साइन की थीं.
अपने करियर के शुरुआत में, गोविंदा ने पारिवारिक, ड्रामा, एक्शन और रोमांस की फिल्में की. 80 के दशक में उन्होंने बॉलीवुड में एक्शन हीरो के रूप में अपनी पहचान बनाई और फिर 90 के दशक में उन्होंने हिंदी फिल्मों में हास्य अभिनेता का एक नया किरदार ही गढ़ दिया.
कुली नं. 1, हीरो नं.1, राजा बाबू, साजन चले ससुराल, बड़े मियां छोटे मियां, दूल्हे राजा जैसी फिल्मों में उनकी कॉमिक टाइमिंग को दर्शकों ने खूब पसंद किया. कई फिल्मों में गोविंदा ने डबल रोल की भूमिका भी निभाई जिनमें, जान से प्यारा, आँखे, बड़े मियां छोटे मियां, और अनाड़ी नं. 1 शामिल हैं.
साल 2000 के बाद उनकी फिल्मों से दर्शकों का रुझान कम होता चला गया. इस बीच उन्होंने राजनीति में भी हाथ आजमाया. साल 2004 में वे कांग्रेस से चुनाव से लड़कर लोकसभा भी पहुंचे. लेकिन बाद में उन्होंने राजनीति से किनारा कर फिर फिल्मों का रुख किया, लेकिन दर्शकों में उनका पुराना जादू चल नहीं पाया.
तमाम उतार-चढ़ावों के बाद भी गोविंदा ने दर्शकों में खुशमिजाज और सदाबहार अभिनेता के तौर पर आज भी अपनी पहचान बना रखी है. उनको आज भी डांस आइकन के तौर पर देखा जाता है. उनके द्वारा किए गए चैरिटी कार्यों के लिए साल 2011 में उन्होंने इंटरनेशनल मदर टेरेसा अवॉर्ड भी दिया गया था.