गुजरात के प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर के आसपास के इलाके की ‘प्रतिष्ठा’ को बचाने और लोगों की भावनाएं सुरक्षित रखने के लिए स्थानीय नगर पालिका ने फैसला लिया है कि मंदिर के आसपास के तीन किलोमीटर इलाके में नॉन-वेज खाने की बिक्री, खरीद, प्रोडक्शन और संरक्षण को बैन कर दिया जाए। कहा जा रहा है कि इसके लिए लंबे समय से स्थानीय लोग और कई सारे संगठन मांग कर रहे थे।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस फैसले से लगभग 100 लोग डायरेक्टली और 400 लोग इनडायरेक्टली प्रभावित होंगे हैं। ये लोग यहां पर मांस, मछली और इससे जुड़े अन्य धंधों से अपना घर चलाते हैं और अपना पेट भरते हैं। यहां मांस बैन करने वाले संगठनों का कहना है कि देश-विदेश से आने वाले लोगों की भावनाएं मांस देखकर भंग हो सकती हैं और यहां मांस की बिक्री से शहर और मंदिर की प्रतिष्ठा को भी चोट पहुंचती है।
ऐसे में जरूरी हो जाता है कि उन परिवारों का संरक्षण किया जाए और उनके रोजगार की गारंटी दी जाए। गिनने में 100 लोग बेहद कम भले लगते हों लेकिन जब एक खुद को नौकरी नहीं मिलती है तो असली दर्द पता चलता है। फिलहाल नगर पालिका अध्यक्ष का कहना है कि हम लोगों को कहीं और शिफ्ट करके उन्हें कोई और काम या नौकरी दिलाने की कोशिश करेंगे। नगरपालिका के इस फैसले के बाद अब अंतिम निर्णय जिलाधिकारी महोदय पर छोड़ दिया गया है।
जिलाधिकारी का कहना है, ‘नगर पालिका से लोगों के रिहैबिलिटेशन का प्लान मांगा गया है और उनसे पूछा गया है कि लोगों को कब तक और कैसे शिफ्ट किया जाएगा। इसके अलावा सभी समुदायों से बात करके, उनकी राय लेकर और व्यापारी संघ से चर्चा करने के बाद ही कोई कार्रवाई की जाएगी।’ दूसरी तरफ इस बैन की मांग करने वाले संगठनों का कहना है कि अब जब नगर पालिका ने निर्णय ले लिया है तो जल्द से जल्द इस पर आगे की कार्रवाई की जानी चाहिए और मंदिर के पास वाले एरिया को नान-वेज फ्री जोन बनाना चाहिए।