एक बात बताऊं सर आपको? आप मजबूर कर रहे हैं, लोगों को यह मानने के लिए कि वे देशभक्त बनें लेकिन उन्हें देशभक्त नहीं बनना है। हैदर रिज़वी देश भक्त बन सकते हैं क्यूंकि वह सो कॉल्ड उच्च घराने की पैदाइश हैं। फलाना पांडे या ढिमकाना परिहार देशभक्त बन सकते हैं क्यूंकि वे ‘रूलर’ जाति से आते हैं लेकिन आप तो कह रहे हो कि आपकी टट्टी साफ करने वाला देशभक्त बन जाय!
जिस मां का दूध पीता बच्चा चौरासी में दीवार पर देकर मार दिया गया और उसे न्याय नहीं मिला, आप उससे सिनेमहाल में देशभक्ति मांग रहे हो? जिस बेटे का बाप भोपाल की जहरीली गैस में मर गया और उसे आजतक न्याय नहीं मिला, उससे कहते हो कि कहो लोकतंत्र ज़िंदाबाद? जिस बेटी के बाप को 1992 में अयोध्या में नंगा करके घुमाया गया, उससे कहते हो बोलो वन्दे मातरम? जिसने 2002 में अपनी बेटी का अपने सामने बलात्कार देखा हो वह आज कहे सारे जहाँ से अच्छा हिंदोस्तां हमारा?
सर सॉरी टू से.. लेकिन हिंदुस्तान बोलने से अगर अच्छा हो जाता तो भगत सिंह, अश्फ़ाक और बिस्मिल को कुर्बानी देने के बजाय अच्छा लिरिक्स लिखना सीख लेना था बस। मुल्क अच्छा होगा कुछ करने से और वह आप लोग होने नहीं देंगे। शास्त्री जी के बाद क़सम से किसी पीएम के लिए घंटा इज्जत नहीं आती दिल में, बस ऐसा लगता है कि अंग्रेज़ काले हो गए। वे अंग्रेज़ी में लूटते थे तुम हिंदी में लूटने लगे और आजकल तो माशाल्लाह से संस्कृत में भी लूटते हो।
हम पाकिस्तान नहीं बनना चाहते लेकिन सच कहें तो हमसे अच्छा है वह देश, जहां आजतक इस्लामी पार्टी जमाते इस्लामी कोई चुनाव नहीं जीत पाई है, यानी उनकी जनता शायद हमसे ज़्यादा अवेयर है।
सर देशभक्ति का पैमाना कोई कविता, कोई गीत या कोई किताब हो ही नहीं सकती, इसका पैमाना सिर्फ़ क़ानून है। अगर जनता को इंसाफ़ मिल रहा है तो बेहतर और अगर अदालत में लटके हुए मामले लाखों का आंकड़ा पार कर रहे हैं तो घंटा देशभक्ति जगेगी। आप लोगों ने हमारी कमाई से अवैध तनख्वाहें ली हैं और नकारापन करने के बावजूद हमसे उम्मीद की कि हम इंदिरा, राजीव, अटल या मोदी ज़िंदाबाद करते रहें … हमारे टैक्स पर जीने वालों की ख़ाक ज़िंदाबाद….
शुक्र मनाइए आपको गधी जनता मिली है, ढंग की मिली होती तो सेवेंटीज में ही ज़िंदाबाद और मुर्दाबाद का डिफेरेंस समझा देती आपको। लॉन्ग लिव मूर्ख ऐंड रिलीजियस पब्लिक ऐंड देयर सो काल्ड डेमोक्रेसी!