पॉलिटिकल लव: वॉट्सऐप से आप भी तो नहीं बन रहे ‘लिंच पुजारी’?

तुम जयपुर आए थे?
हां आया तो था सोचा तुम से मिल कर जाऊंगा।
अच्छा क्या पहन कर आए थे जी?
अरे वो काला कुर्ता और ब्लैक जीन्स पहन कर आए थे।
अच्छा मिलने आए थे जयपुर या किसी का विरोध करने?
करने तो दोनों आए थे, हुआ एक भी नहीं।

 

तुम्हारे पास बेल गाड़ी है ना?
अरे बाबा वो बैल गाड़ी होता है।
अरे मेरा मतलब वही था जानू।
अच्छा बताओ ऑफिस के बगल में रैली हुई थी न?
हां थोड़ी सी दूर पर हुए थी।
तभी तुम्हें बैल और बेल में फर्क नजर नहीं आ रहा।

 

तुम मेरे पैसे कब दे रहे हो?
2022 तक डबल करके दूंगा चिंता मत करो।
ना बाबा ना कोई भरोसा नहीं है, 2019 में बदल गए तो?
तभी तो बोल रहा हूँ, 2019 तक सब ठीक रहा तो पैसे दे दूंगा।
अच्छा कुछ गड़बड़ हुई तो?
तो क्या समझ लेना पैसा डूब गया।

 

यार तुम्हें लोग आज कल बहुत उलटा सीधा बोलते हैं।
क्या बोल दिया लोगों ने मेरी जान?
तुम्हें लोग लिंच पुजारी कहते हैं।
अरे उन्हें कहने दो वो बस विरोध करते है।
अच्छा और जो तुम्हारे मामा स्वागत कर रहे हैं वो क्या है?

 

अच्छा सुनो जानू एक बात बताओ?
हां पूछो मेरी जान।
जिस सरकार को वोट दो, उसका समर्थन करना जरूरी है क्या?
क्यों तुम नागपुर वालो को वोट करके आ गई थी क्या?
कुछ वही समझ लो।
फिर जरूरी नहीं लेकिन हॉस्पिटल में फॉर्म भरना जरूरी है।

 

अच्छा एक बात बताओ?
हां एक क्यों दो पूछ लो।
सुने है दिल्ली में सब बदल गया है।
अभी तो बस सोफा बदला है।
अच्छा बाकी सब वैसा ही है !
हां अब तो 2019 के बाद ही कुछ बदल सकता है।
ये सही बोले तुम।

 

तुम इतने खाली क्यों हो?
क्या करूँ कोई रोजगार ही नहीं है।
रोजगार की कोई कमी नहीं, आकड़ों की कमी है।
अच्छा फिर आकड़ों की फील्ड में जॉब ट्राय करता हूँ।
हां ये सही है फिर आंकड़े की कमी नहीं रहेगी।

 

तुम व्हाट्सएप चलाते हो न?
अब तो तुम भी चलाती हो न।
हां लेकिन अब डर लगने लगा है।
अरे क्या हुआ क्यों डर रही हो?
कुछ नहीं वो आज कल सारी अफवाह व्हाट्सएप फैल रही है ना।
डरो नहीं बस फालतू मैसेज पर ध्यान मत देना।
मैं फालतू क्या मैं तो तुम्हारे मैसेज पर भी ध्यान नहीं देती।

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