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राम चाहते हैं कि 21वीं सदी में उनके ‘भक्त’ उन्हेंं भूल ही जाएं!

राम लाचार हैं, ठीक उसी तरह जिस तरह से भारतीय संविधान. कुछ नहीं कर सकते. लेकिन उनकी अवधारणा ऐसी आदर्श स्थिति की है, जिसके लिए हिंदुस्तान में कोई जगह नहीं है.